हमारा मार्ग जनकल्याण है — नरेन्द्र मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
———————————–

न्यूयॉर्क — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वीं वर्षगांँठ पर आमसभा को संबोधित करते हुये सबसे पहले दुनियाँ को बधाई दिया। उन्होंने आगे कहा कि आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है?  पिछले आठ नौ महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहांँ है? एक प्रभावशाली रिस्पॉन्स कहां है? आज विश्व कोरोना महामारी के दौर से गुजर रहा है , ऐसे में आज गंभीर आत्ममंथन की जरूरत है। इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि अनेकों युद्ध और महायुद्ध हुये , कितने ही आतंकी हमलों में खून की नदियांँ बहती रहीं। इन युद्धों में, इन हमलों में, जो मारे गये वे भी हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे। भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के रिफॉर्म्स को लेकर जो प्रोसेस चल रहा है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रोसेस कभी लॉजिकल ऐंड तक पहुंँच पायेगा ? आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के डिसिजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जायेगा ? उन्होंने आगे कहा कि एक ऐसा देश, जो दुनियाँ का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश, जहांँ विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, एक ऐसा देश, जहां सैकड़ों भाषायें हैं, सैकड़ों बोलियांँ हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधारायें हैं।जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है,जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनियाँ के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं , यह हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को ही प्राथमिकता दी है। भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होता। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते। महामारी के इस मुश्किल समय में भी भारत की फार्मा इंडस्ट्री ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयांँ भेजीं हैं। विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूँ कि भारत की वैक्सीन प्रोडक्शन और वैक्सीन डिलिवरी क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिये काम आयेगी , हम पीछे नहीं हटेंगे। विश्व के सब से बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिये उपयोग करेंगे , हमारा मार्ग जनकल्याण है , हमारी आवाज हमेशा शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिये उठेगी। भारत की आवाज़ मानवता, मानव जाति और मानवीय मूल्यों के दुश्मन- आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स, मनी लॉन्डरिंग के खिलाफ उठेगी।

Ravi sharma

Learn More →