बावरी मस्जिद बरसी पर अयोध्या में हाई अलर्ट-अयोध्या

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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अयोध्या — बाबरी विध्वंस की 28वीं बरसी पर कल अयोध्या में सुरक्षा सख्त कर दी गयी थी। अयोध्या के प्रवेश मार्गों पर सघन जाँच अभियान चलाया गया। श्रीराम जन्मभूमि को जाने वाले सभी मार्गों को सील कर दिया गया था , आने जाने वाले हर व्यक्ति से कड़ी पूछताछ की जा रही थी। बरसी के दिन किसी तरह का विवाद ना हो इसके लिये किसी भी समुदाय को कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी गई थी।प्रशासन ने साफ कहा था कि अगर किसी ने कार्यक्रम किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।इसके अलावा सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों और आपत्तिजनक पोस्ट डालने वालों पर निगाह रखने के लिये साइबर सेल को अलर्ट रखने के साथ ही अयोध्या जिले में होटल , धर्मशाला ,और रेल्वे स्टेशन समेत सभी सार्वजनिक जगहों पर सादी वर्दी में पुलिस के जवान तैनात किये गये थे। सिविल पुलिस के अलावा आरपीएफ ,सीआरपीएफ , एसटीएफ , एटीएस के जवानों के अलावा डाग स्क्वायड की अतिरिक्त तैनाती की गयी थी। वहीं सामाजिक सहभागिता की बात स्वीकारते हुये अयोध्या में किसी भी तरीके का आयोजन ना करने का आश्वासन दोनों समाज के लोगों ने दिया था , दोनों पक्षों ने ही शांति की बात कही थी।
गौरतलब है कि आज से 28 वर्ष पहले 06 दिसंबर 1992 को उग्र भीड़ ने अयोध्या में विवादित ढांचे को गिरा दिया था। इस विध्वंस के बाद मुस्लिम समुदाय इसे काला दिवस के तौर पर मनाता है। वहीं हिंदू इसे शौर्य दिवस का नाम देते हैं। हालांकि इस बार माहौल बदला हुआ नजर आया। रामजन्मभूमि और मस्जिद विवाद का पटाक्षेप हो चुका है ,साथ बाबरी विध्वंस मामले में सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ अयोध्या के संतों ने भी अपील करते हुये कहा था कि अब यौमे गम और शौर्य दिवस मनाने की आवश्यकता नहीं है। उनका कहना था कि अयोध्या विवाद पर फैसला आ चुका है और राम मंदिर निर्माण का काम भी शुरू हो चूका है , साथ ही मस्जिद के लिये भी जमीन दी जा चुकी है। अब अमन और चैन के साथ हिंदू और मुस्लिम को रहना चाहिये।प्रशासन ने लोगों से अपील की थी कि 06 दिसंबर को दोनों समुदाय कोई भी कार्यक्रम का आयोजन ना करें जिससे कि देश और प्रदेश का माहौल बिगड़े। पुलिस के अनुसार किसी भी तरीके के कार्यक्रम की अनुमति नही मिली थी। दोनों समुदाय के धर्मगुरुओं ने  सामाजिक सहभागिता की बात की है. उधर अयोध्या में किसी भी तरीके का आयोजन ना करने का आश्वासन दोनों समाज के लोगों ने दिया है। उन्होंने कहा कि कोविड संक्रमण को देखते हुये उसके नियमों का पालन करना जरूरी है। दोनों पक्षों ने सौहार्द और शांति की बात की थी। हालांकि अब अदालत द्वारा मामले का निपटारा हो चुका है। बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना था. जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही पाँच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया था।

Ravi sharma

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