CAA को लेकर 144 याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट-

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली– सुप्रीम कोर्ट नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एक अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ सीएए से संबंधित 144 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इनमें अधिकतर याचिकाएं सीएए के खिलाफ हैं जबकि कुछ याचिकाएं सीएए के समर्थन में भी डाली गई हैं।सीएए की संवैधानिक वैधता को इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग, पीस पार्टी, असम गण परिषद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, जमायत उलेमा ए हिन्द, जयराम रमेश, महुआ मोइत्रा, देव मुखर्जी, असददुद्दीन ओवेसी, तहसीन पूनावाला व केरल सरकार सहित अन्य ने चुनौती दी है
इन याचिकाओं में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में लंबित सीएए के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सुप्रीम कॉर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है। शीर्ष अदालत आज इस पर विचार करेगी। याचिकाकर्ताओं ने इस कानून को संविधान की मूल भावना के खिलाफ और विभाजनकारी बताते हुये रद्द करने का आग्रह किया है। ज्यादातर याचिकाओं में नागरिकता संशोधन कानून की वैधता को चुनौती दी गई है, वहीं कुछ याचिकाओं में इस कानून को संवैधानिक घोषित करने की मांग भी की गई है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षतता वाली तीन सदस्यी पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर तथा जस्टिस संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने नौ जनवरी को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। अदालत ने नागरिकता कानून को लेकर विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसक घटनाओं पर नाराजगी जताते हुये कहा था कि याचिकाओं पर तभी सुनवाई होगी जब हिंसक घटनायें बंद हो जायेगी। कांग्रेस नेता जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और इंडियन मुस्लिम लीग समेत कई लोगों और संगठनों ने यचिका दायर की हैं। ज्यादातर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून भारत के पड़ोसी देशों से हिंदू, बौद्ध, ईसाई, पारसी, सिख और जैन समुदाय के सताये हुये लोगों को नागरिकता देने की बात करता है लेकिन इसमें जानबूझकर मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। संविधान इस तरह के भेदभाव करने की इजाजत नहीं देता।संशोधित कानून के अनुसार धार्मिक प्रताड़ना के चलते 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आये हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध प्रवासी नहीं माना जायेगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जायेगी।

Ravi sharma

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