हंगामें के चलते विपक्षी दलों के आठ सांसद निलंबित-नईदिल्ली

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली — वैश्विक महामारी कोरोना संकटकाल के बीच जारी संसद के मॉनसून सत्र के आठवें दिन राज्यसभा में कृषि से जुड़े विधेयकों के पारित होने के दौरान विपक्षी सांसदों के हंगामे का मुद्दा उठा। सभापति ने हंगामा करने वाले विपक्षी आठ सांसदों के खिलाफ कार्रवाही करते हुये डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, रिपुन बोरा, नजीर हुसैन, के०के० रागेश, ए० करीम, राजीव साटव, डोला सेन को निलंबित कर दिया। विपक्ष के सांसदों का आरोप है कि उपसभापति ने सदन का कामकाज रोकने के विपक्ष के अनुरोध की अनदेखी की और सदन में दो कृषि विधेयकों को पारित कर दिया गया। केन्द्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुये इस घटना पर कहा कि कृषि विधेयक चर्चा के दौरान राज्यसभा में जो कुछ भी हुआ वह दुखद, शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण था। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा उपसभापति के खिलाफ विपक्षी सांसदों की तरफ से लाया गया अविश्‍वास प्रस्‍ताव नियमों के हिसाब से सही नहीं है। सभापति की कार्रवाई के बाद भी सदन में हंगामा जारी रहा।सभापति की ओर से की गई कार्रवाही के बाद भी निलंबित होने वाले सांसद सदन में मौजूद हैं।उपसभापति ने सदन की कार्यवाही को आधे घंटे के लिये स्थगित कर दिया गया। उपसभापति ने कहा कि सांसदों को नियम 256 के तहत निलंबित किया गया है। निलंबित सभी सांसद सदन से बाहर नहीं जाने पर अड़े हुये थे और वे नारेबाजी किये। सांसदों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को दूसरे दिन 09:00 बजे तक के लिये स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा के आठ विपक्षी सांसदों को बचे हुये सत्र से निलंबित करने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विरोध जताते हुये इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। ये सरकार के तानाशाही रवैये को दिखाता है। इससे यह भी पता चलता है कि सरकार का लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं है। हम सरकार के खिलाफ संसद और सड़क पर लड़ते रहेंगे।

Ravi sharma

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