समुद्री सुरक्षा हमारे लिये अहम – पीएम मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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न्यूयॉर्क — समंदर हमारी साझा धरोहर है , हमारे समुद्री रास्ते इंटरनेशनल ट्रेड की लाइफलाइन है और सबसे बड़ी बात ये है कि समंदर हमारी धरती के भविष्य के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। समुद्री सुरक्षा हम सबके लिये बहुत ही अहम है। समुद्री विवादों का समाधान शांतिपूर्ण और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के आधार पर ही होना चाहिये , ये आपसी भरोसे के लिये अतिआवश्यक है। इससे हम वैश्विक शांति और स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समुद्री सुरक्षा बढ़ाने पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुये वैधानिक समुद्री व्यापार से बाधायें हटाने पर जोर देते हुये कही। उन्होंने समुद्री पर्यावरण और संसाधनों को संजोकर रखने पर ज़ोर देते हुये इस बात को भी रेखांकित किया कि समुद्रों से जलवायु सीधे प्रभावित होती है , इसलिये समुद्रों को प्लास्टिक और तेल रिसाव से प्रदूषण से मुक्त रखने की आवश्यकता है। पीएम ने कहा मेरीटाइम सिक्योरिटी का ढांचा बनाया जाना जरूरी है। हमने बांग्लादेश के साथ मिलकर मेरीटाइम विवाद को सुलझाया। समुद्री सुरक्षा पर ओपन डिबेट में मोदी ने कहा कि समुद्री सुरक्षा के लिये कई तरह की चुनौतियां हैं। पाइरेसी और आतंकवाद के लिये समुद्र का दुरुपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि समुद्री रास्ते अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिये लाइफलाइन हैं। ऐसे में हमें समुद्री धरोहर के दुरुपयोग को रोकना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस व्‍यापक संदर्भ में अपनी साझा सामुद्रिक धरोहर के उपयोग के लिय हमें आपसी समझ और सहयोग का फ्रेमवर्क बनाना चाहिये। ऐसा फ्रेमवर्क कोई भी देश अकेला नहीं बना सकता। यह साझे प्रयास के ही संभव है , इसी सोच के साथ हम इस महत्‍वपूर्ण विषय को सुरक्षा परिषद के पास लेकर आये हैं। मुझे पूरा विश्‍वास है कि आज की हाईलेवर चर्चा से विश्‍व को मैरीटाइम से जुड़े मुद्दे पर मार्गदर्शन मिलेगा। इस मंथन को चर्चा देने के लिये मैं आपके समक्ष पांच मूलभूत सिद्धांत रखना चाहूंगा। पहला, हमें मैरीटाइम ट्रेड में बैरियर्स हटाने चाहिए, हम सभी की समृद्धि मैरीटाइम ट्रेड के सक्रिय फ्लो पर निर्भर है , इसमें आई अड़चनें पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये चुनौती हो सकती है। पीएम मोदी ने कहा कि फ्री मैरीटाइम ट्रेड के लिए यह भी जरूरी है कि हम एक-दूसरे के अधिकारों का सम्‍मान करें. मैरीटाइम डिस्‍प्‍यूट का समाधान शांतिपूर्ण और अंतरराष्‍ट्रीय कानून के अनुसार होना चाहये। आपसी भरोसे और विश्‍वास के लिए यह जरूरी है. इसी से हम वैश्विक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। तीसरी बात यह है कि हमें प्राकृतिक आपदाओं और नॉन स्‍टेट एक्‍टर्स द्वारा पैदा किये गये मैरीटाइम ट्रेड्स का मिलकर सामना करना चाहिये , इस दिशा में भारत ने कई कदम उठाये हैं। चौथा सिद्धांत यह है कि हमें मैरिटाइम एनवायर्नमेंट और मैरिटाइम रिसोर्सेज (संसाधनों) को संजोकर रखना होगा। हमें अपने मैरिटाइम एनवायर्नमेंट को प्‍लास्टिक जैसे प्रदषूण से मुक्‍त रखना होगा और ओवर फिशिंग जैसी चीजों के खिलाफ साझा कदम उठाने होगें। पांचवा सिद्धांत यह है कि हमें रिस्‍पांसिबल मैरीटाइम कनेक्टिविटी को प्रोत्‍साहन देना  होगा , मुझे विश्‍वास है कि इन पांच सिद्धांत के आधार पर मैरीटाइम सिक्‍युरिटी कोआपरेशन का एक वैश्विक रोडमैप बन सकता है। यह विषय सुरक्षा परिषद के सभी सदस्‍यों के लिये महत्‍वपूर्ण है। यह पहली बार है कि समुद्री सुरक्षा के विषय पर समग्र रूप से और खास एजेंडे के साथ यह परिचर्चा हो रही है। सुरक्षा परिषद में केवल पांच स्थायी सदस्य अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस हैं. वर्तमान में भारत दो साल के लिये सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है।गौरतलब है कि पीएम मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक खुली परिचर्चा की बैठक की अध्यक्षता किये। यह बैठक समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए तमाम विकल्पों पर विचार करने के लिये आयोजित की गई थी। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अगस्त माह के लिये अपने हाथों में ली है।

Ravi sharma

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