सदन के लिये ये बहुत ही भावुक क्षण – पीएम मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – हम सब यहां राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम० वेंकैया नायडू को उनके कार्यकाल के समापन पर धन्यवाद और विदाई देने के लिये मौजूद हैं। यह इस सदन के लिये बहुत ही भावुक क्षण है। सदन के कई ऐतिहासिक क्षण आपकी गरिमामयी उपस्थिति से जुड़े हैं। आप अनेकों बार कहते रहे कि मैं राजनीति से रिटायर हुआ हूं लेकिन सार्वजनिक जीवन से नहीं थका हूं। आपने हर भूमिकाओं में हमेशा युवाओं के लिये काम किया और युवाओं का मार्गदर्शन किया , सदन में भी युवा सांसदों को आगे बढ़ाया और प्रोत्साहित किया। अगर हमारे पास देश के लिये भावनाये हों , बात कहने की कला हो , भाषा की विविधता में आस्था हो तो भाषा , क्षेत्र हमारे लिये कभी दीवार नहीं बनती है , ये आपने ( वेंकैया नायडू) ने सिद्ध किया है। इस सदन से नेतृत्व करने की आपकी जिम्मेदारी भले ही समाप्त होने जा रही है। लेकिन आपके अनुभवों का लाभ भविष्य में देश को और हम जैसे अनेक सार्वजनिक जीवन के कार्यकर्त्ताओं को भी मिलता रहेगा।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू की विदाई के मौके पर विदाई भाषण पर कही। पीएम मोदी ने कहा कि उपराष्ट्रपति और सदन के सभापति के रूप में आपकी गरिमा और निष्ठा को मैंने आपको अलग अलग जिम्मेदारियों में बड़ी लगन से काम करते हुये देखा है। मुझे भी उन कुछ भूमिकाओं में आपके साथ काम करने का सौभाग्य मिला। एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में आपकी वैचारिक प्रतिबद्धता हो , एक विधायक के रूप में आपका काम हो , एक सांसद के रूप में सदन में आपकी गतिविधि हो , पार्टी प्रमुख के रूप में आपका नेतृत्व , कैबिनेट में आपकी कड़ी मेहनत या उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में आपका काम , मैंने आपको अपनी सभी भूमिकाओं में निष्ठापूर्वक काम करते देखा है। मैं आपके मानकों में लोकतंत्र की परिपक्वता को देखता हूं। आपने संवाद , संपर्क और समन्वय के जरिये ना सिर्फ सदन को संचालित किया , बल्कि इसे प्रोडक्टिव भी बनाया। जब भी सदन में टकराव की स्थिति होती थी तो आपने उस समय निर्णायक भूमिका निभाई। आपने कभी किसी काम को बोझ नहीं माना , हर काम में एक नई जान फूंकने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि आपका ये जज्बा और लगन हम लोगों ने निरंतर देखी है। मैं प्रत्येक माननीय सांसद और देश के हर युवा से कहना चाहूंगा कि वो समाज , देश और लोकतंत्र के बारे में आपसे बहुत कुछ सीख सकते हैं। पीएम मोदी ने एक श्लोक का उदाहरण देते हुवे कहा – न सा सभा यत्र न सन्ति वृद्धा: , वृद्धा न ते ये न वदन्ति धर्मम् । अर्थात जिस सभा में अनुभवी लोग होते हैं , वही सभा होती है और अनुभवी लोग वहीं हैं, जो धर्म , कर्तव्य की सीख दें। किसी भी सदस्य ने आपके किसी भी शब्द को कभी अन्यथा नहीं लिया। आपने हमेशा इस बात पर बल दिया कि संसद में व्यवधान एक सीमा के बाद , सदन की अवमानना के समान होता है। आपके मार्गदर्शन में राज्यसभा ने अपने मानकों को पूरी गुणवत्ता से पूरा किया है। आप माननीय सदस्यों को निर्देश भी देते थे , उन्हें अपने अनुभवों का लाभ भी देते थे और अनुशासन को ध्यान में रखते हुये प्यार से डांटते भी थे। पीएम ने कहा आप कहते हैं कि मातृभाषा आंखों की रोशनी की तरह होती है और दूसरी भाषा चश्मे की तरह होती है। ऐसी भावना हृदय की गहराई से ही बाहर आती है। आपकी मौजूदगी में सदन की कार्यवाही के दौरान हर भारतीय भाषा को विशिष्ट अहमियत दी गई है। आपने सदन में सभी भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ने के लिये काम किया। सदन में हमारी सभी 22 शेड्यूल भाषाओं में कोई भी सदस्य बोल सकता है , उसका इंतजाम आपने किया। आपकी ये प्रतिभा और निष्ठा आगे भी सदन के लिये एक गाइड के रूप में हमेशा काम करेगी। कैसे संसदीय और शिष्ट तरीके से भाषा की मर्यादा में कोई भी अपनी बात प्रभावी ढंग से कह सकता है। इसके लिये आप प्रेरणा पुंज बने रहेंगे। आपके कार्य , आपके अनुभव आगे सभी सदस्यों को जरूर प्रेरणा देंगे। आपने विशिष्ट तरीके से आपने सदन चलाने के लिये ऐसे मानदंड स्थापित किये हैं , जो आगे इस पद पर आसीन होने वालों को प्रेरित करते रहेंगे। पीएम मोदी ने कहा आजादी के अमृत महोत्सव में आज जब देश अपने अगले 25 वर्षों की नई यात्रा शुरू कर रहा है। तब देश का नेतृत्व भी एक तरह से एक नये युग के हाथों में हैं। हम इस बार ऐसा स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं जब देश के राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , अध्यक्ष और प्रधानमंत्री वे सभी लोग हैं जो स्वतंत्र भारत में पैदा हुये और ये सभी बहुत ही सामान्य पृष्ठभूमि से हैं। मुझे लगता है कि इसका प्रतीकात्मक महत्व है , ये देश में नये युग का प्रतीक है। पीएम मोदी ने उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के विदाई समारोह में उनकी किताबों का जिक्र भी करते हुये कहा कि आपकी किताबों में आपकी वो शब्द प्रतिभा झलकती है , जिसके लिये आप जाने जाते हैं। आपकी किताबें युवाओं को प्रेरणा देती रहेंगी। राज्यसभा में पीएम नरेन्द्र मोदी ने उपराष्ट्रपति की तारीफ करते हुए कहा कि आपके वन-लाइनर्स विट-लाइनर्स हैं। वे विन-लाइनर भी हैं। इसका मतलब है कि उन पंक्तियों के बाद और कुछ कहने की जरूरत नहीं है। आपका हर शब्द सुना जाता है, पसंद किया जाता है और सम्मानित किया जाता है और कभी भी काउंटर नहीं किया जाता है।राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति एम. वेंकैया नायडू को विदाई देते हुये कहा आपने सभी प्रमुख राज्यों में उच्च सदनों के लिये राष्ट्रीय नीति की वकालत की थी। आपने महिला आरक्षण विधेयक और अन्य मुद्दों पर आम सहमति की भी बात की। मुझे विश्वास है कि आप जो अधूरा छोड़ रहे हैं , उसे सरकार पूरा करेगी। खड़गे ने विदाई भाषण में उनके साथ अपने रिश्तों को याद किया। उनके साथ मिलकर बनाये गये महत्वपूर्ण कानूनों की चर्चा की। फिर आखिरी में एक शायरी के साथ कहा – सदाओं को अल्फाज मिलने ना पायें , ना बादल घिरेंगे ना बरसात होगी। मुसाफिर हैं हम भी मुसाफिर हो तुम भी , किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी ।। वहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सभी सांसदों को संबोधित करते हुये कहा मुझे आपको यह बताते हुये खुशी हो रही है कि भारतीय दल ने कॉमनवेल्थ गेम में अब तक का शानदार प्रदर्शन किया है। भारत ने अब तक 55 पदक के साथ इतिहास रचते हुये 18 स्वर्ण , 15 रजत और 22 कांस्य पदक जीते हैं। उन्होंने कहा मैं इस सदन की ओर से सभी पदक विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं। मैं अन्य सभी एथलीटों को आगामी प्रतियोगिताओं के लिये भी शुभकामनायें देता हूं। हमें विश्वास है कि हमारे एथलीटों की सफलता देश के युवा और युवा एथलीटों को प्रोत्साहित और प्रेरित करेगी।
गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र के सोलहवें दिन उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को संसद में विदाई दी गई। इनका कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। चूंकि मुहर्रम और रक्षाबंधन के कारण मंगलवार और गुरूवार को सदन की कोई बैठकें नहीं होंगी , इसलिये आज ही विदाई दी गई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पक्ष व विपक्ष के सभी नेता मौजूद रहे। जिसमें राज्यसभा के सभी सदस्यो ने उन्हें विदाई दी , वहीं पीएम मोदी ने नायडू के कार्यों की सराहना कर उनके अच्छे भविष्य की कामना की। इस दौरान सदन में सभी भावुक नजर आये।

Ravi sharma

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