हम पर उच्च सदन की बड़ी जिम्मेदारी – वेंकैया नायडू

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – हम पर उच्च सदन की बड़ी जिम्मेदारी हैं। पूरी दुनियां देख रही है कि भारत आगे बढ़ रहा है। मैं राज्यसभा सांसदों से शालीनता , गरिमा और मर्यादा बनाये रखने की अपील करता हूं ताकि सदन की छवि और सम्मान बना रहे। मैं सभी दलों से लोकतंत्र का सम्मान करने को कहूंगा।
उक्त बातें वेंकैया नायडू ने बतौर राज्यसभा के सभापति के अपने अंतिम भाषण में कही। अपने संबोधन में उन्होंने उपराष्ट्रपति के रूप में किये गये कामों को याद किया। वहीं उन्होंने अपने कार्यकाल के पहले दिन के भावुक कर देने वाले पलों को भी साझा किया। उन्होंने बताया जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे बताया कि मुझे उपराष्ट्रपति पद के लिये चुना जा रहा है , मेरे आंसू बहने लगे। मैंने पार्टी से इसके लिये नहीं कहा था। पार्टी ने जनादेश दिया था , मैंने इसके लिये बाध्य होकर पार्टी से इस्तीफा दिया। आंसू इसलिये आ रहे थे क्योंकि मुझे पार्टी छोड़नी पड़ी। उन्होंने कहा कि मैंने सदन को बनाये रखने की पूरी कोशिश की। मैंने सभी पक्षों – दक्षिण , उत्तर , पूर्व , पश्चिम , उत्तर-पूर्व को समायोजित करने और अवसर देने का प्रयास किया। आप में से प्रत्येक को समय दिया गया है। इसी बीच वेंकैया नायडू ने कहा कि हम दुश्मन नहीं हैं , हम प्रतिद्वंद्वी हैं। हमें प्रतिस्पर्धा में दूसरों को पछाड़ने के लिये कड़ी मेहनत करनी चाहिये लेकिन दूसरों को नीचा नहीं दिखाना चाहिये। मेरी इच्छा है कि संसद अच्छी तरह से काम करे। मैं आभारी हूं , आपके प्यार और स्नेह से प्रभावित हूं। इस बीच टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने जब स्पीच दी तो वेंकैया भावुक हो गये और अपने आंसू पोंछने लगे। इस दौरान सदन में मौजूद सभी सांसद मायूस भी थे। बता दें कि टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने वेंकैया नायडू के बचपन की कहानी सुनाई। उन्होंने कहा कि जब नायडू महज एक साल के थे , तब उनकी मां की मौत हो गई थी। डेरेक ने कहा कि गांव में एक परिवार था , जिसके पास आठ बैल थे। एक दिन इनमें से एक भड़क गया और महिला के पेट में सींग से हमला कर दिया। उसकी गोद में एक साल का बच्चा था। उसे वहीं छोड़कर महिला को अस्पताल ले जाया गया , पर उसकी मौत हो गई। वो बच्चा वेंकैया नायडू थे। टीएमसी सांसद की बातें सुनकर राज्यसभा में मौजूद सभी सदस्य कुछ समय के लिये मौन हो गये।
गौरतलब है कि 01 जुलाई 1949 को आंध्रप्रदेश के नेल्लोर जिले के छवतपलम में जन्मे वेंकैया नायडू की पहचान हमेशा एक ‘आंदोलनकारी’ के रूप में रही है। वे 1972 में ‘जय आंध्र आंदोलन’ के दौरान पहली बार सुर्खियों में आये। वर्ष 1974 में आंध्रप्रदेश में जयप्रकाश नारायण छात्र संघर्ष समिति की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई के संयोजक रहे। उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की विचारधारा से प्रभावित होकर आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष में हिस्सा लिया और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। आपातकाल के बाद वे वर्ष 1977 से वर्ष 1980 तक जनता पार्टी की युवा शाखा के अध्यक्ष रहे। नायडू भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहने के अलावा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे। उन्होंने मोदी सरकार में शहरी विकास मंत्रालय के अलावा संसदीय कार्य मंत्री और सूचना प्रसारण मंत्रालय का भी कामकाज सम्हाला। वर्ष 2017 में मोदी सरकार ने वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति बनाया। पांच साल उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा करने के बाद नायडू को आज राज्यसभा में विदाई दी गई। बताते चलें कि एम० वेंकैया नायडू का 10 अगस्त को कार्यकाल समाप्त हो रहा है और 11 अगस्त को नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पद की शपथ लेंगे।

Ravi sharma

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