संसद के शीतकालीन सत्र का समापन एक दिन पहले

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – विपक्ष के हंगामे और अधिकतर सरकारी विधायी कार्य संपन्न होने की वजह से राज्यसभा और लोकसभा में सदन को एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित घोषित कर दिया गया। शीतकालीन सत्र की शुरुआत में बारह राज्यसभा सांसदों को निलंबित कर दिये जाने की वजह से सदन का ज्यादातर समय विपक्ष के बहिष्कार और हंगामें की भेंट चढ़ गया। वहीं केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को हटाने की मांग भी तेजी से उठी। इस शीतकालीन सत्र में महंगाई और लखीमपुर हिंसा जैसे मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार का काफी विरोध किया। विपक्षी सांसदों के हंगामे के चलते कई बार सदन को स्थगित किया गया , लेकिन इसके बावजूद मोदी मोदी सरकार कई अहम विधेयक पास कराने में सफल रही है। मौजूदा सत्र के दौरान लोकसभा में 82 प्रतिशत और राज्यसभा में 47 प्रतिशत कामकाज हुआ , इस दौरान लोकसभा में 11 और राज्यसभा में 09 बिल पारित हुये। संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , गृहमंत्री अमित शाह , कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आदि शामिल थे। सदन के अनिश्चितकाल के लिये स्थगित होने के बाद राजनीतिक दलों के नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से उनके कक्ष में मुलाकात की। शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा की 18 बैठकें हुईं , जो 83 घंटे और 12 मिनट तक चलीं। संसद के शीतकालीन सत्र के समापन पर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुये सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुये कहा कि सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं देना चाहती थी , इस कारण सदन के स्थगन के लिये वही दोषी है। सरकार की मंशा थी कि बिना चर्चा के बिल पास करवाना और महंगाई , बेरोजगारी , किसान आंदोलन , लखीमपुर खीरी घटना और पेगासस जैसे मुद्दों पर चर्चा से बचना। हम इन सभी मुद्दों पर सदन में लगातार चर्चा की मांग करते रहे लेकिन सरकार की तरफ से उनकी मांगों को सिरे से खारिज कर दिया गया। बताते चलें कि संसद का यह शीतकालीन सत्र 29 नवंबर को शुरू हुआ था , जो गुरुवार 23 दिसंबर को समाप्त होने वाला था। ऐसे में लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही तय समय से एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दी गई। शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में कोरोना वायरस पर 12 घंटे 26 मिनट बहस हुई जिसमें 99 सदस्यों ने हिस्सा लिया। वहीं जलवायु परिवर्तन पर 06 घंटे और 26 मिनट तक बहस हुई। इस मुद्दे पर सदन में 61 सदस्यों ने बहस किया , इसके बावजूद यह बहस बेनतीजा रहा। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन में व्यवधान के कारण 18 घंटे 48 मिनट का नुकसान हुआ। उन्होंने अफसोस जताया कि बार-बार हो रहे व्यवधान के कारण उच्च सदन ने अपनी क्षमता से बहुत कम काम किया। उन्होंने कहा कि उन्हें सदस्यों को यह बताते हुये खुशी नहीं हो रही है कि सदन ने अपने क्षमता से बहुत कम काम किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सदन में नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिये और सदस्यों को सदन में शालीनता और मर्यादा बनाये रखनी चाहिये। उन्होंने राज्य सभा के सदस्यों से इस बात का एहसास करने को कहा कि जो हुआ है वह गलत है और सभी को देश के हित में काम करना चाहिये। सरकार ने सत्र के दौरान 12 विधेयक पेश किये , इसमें बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक भी शामिल रहा , जिसमें लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से 09 विधेयकों को पारित किया गया, जिसमें कृषि कानून निरसन विधेयक , चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक और प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई निदेशकों का कार्यकाल पांच साल तय करने और अनुदान की अनुपूरक मांगों को शामिल किया गया था।शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष ने जिन दो मुद्दों को सबसे अधिक उठाया , वे थे लखीमपुर खीरी हिंसा और राज्यसभा से 12 सांसदों का निलंबन। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ विपक्ष के कई नेताओं ने यूपी के लखीमपुर में किसानों को कुचलने के मामले में आरोपी आशीष मिश्रा टेनी के पिता व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे को लेकर सदन को बाधित किया। इतना ही नहीं विपक्षी नेताओं ने संसद परिसर के बाहर मार्च निकालकर प्रदर्शन किया। हालांकि विपक्ष के हंगामे के दौरान कई अहम विधेयक भी पास हुये। उल्लेखनीय है कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन (29 नवंबर) राज्यसभा में कांग्रेस और टीएमसी सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले सत्र के दौरान कथित तौर पर किये गये ‘अशोभनीय आचरण’ हेतु इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था। निलंबित किये सदस्यों में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम , कांग्रेस की फूलों देवी नेताम , छाया वर्मा , रिपुन बोरा , राजमणि पटेल , सैयद नासिर हुसैन , अखिलेश प्रताप सिंह , तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री , शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल है।

कई बिल पास कराने में मिली सफलता
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संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार कई विधेयकों को पारित कराने में सफल साबित हुई। सत्र की शुरुआत में ही कृषि कानूनों को वापस लेने वाले बिल पर मुहर लगायी गई। वहीं मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने संबंधी चुनाव सुधार बिल , जजों के वेतन-भत्ते व सेवा शर्तें , लॉ बिल , एनडीपीएस बिल , सीबीआई-प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुखों का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाने और जननीय प्रजनन उपचार उद्योग विनियमन बिल को संसद से मंजूरी मिली। इसके अलावा मोदी सरकार विनियोग (संख्यांक 5) विधेयक , नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थ (संशोधन) विधेयक 2021 , केंद्रीय सतर्कता आयोग संशोधन विधेयक 2021 , दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना संशोधन विधेयक 2021, डैम सेफ्टी विधेयक , राष्ट्रीय औषधि शिक्षण और अनुसंधान संस्थान विधेयक , सरोगेसी विनियमन विधेयक 2021 और जैव विविधता (संशोधन) विधेयक को संसद से पास करने में सफल रही है।

स्टैंडिंग कमेटी को भेजे गये बिल
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केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को लोकसभा में लड़कियों की विवाह की आयु 18 से बढ़ाकर 21 करने संबंधित मध्यस्थता को बढ़ावा देने और सुविधा प्रदान करने से संबंधित विधेयक पेश किया था , लेकिन उसे न्याय संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा गया। ऐसे ही बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021भी स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा गया। लोकसभा से जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 पास हो गया है , लेकिन संयुक्त समिति को भेजा गया। इसके अलावा वन्यजीव संरक्षण संशोधन बिल , राष्ट्रीय डोपिंग रोधी बिल 2021 और चार्टर्ड एकाउंटेंट , लागत , संकर्म लेखपाल , कंपनी सचिव संशोधन बिल 2021 को स्टैंडिग कमेटी को भेज दिया गया है।

Ravi sharma

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