शिक्षा के क्षेत्र में जरुरी सुधार के लिए महामहिम को लिखा पत्र, स्वामी विवेकानंद सामाजिक शोध संस्थान ने किया बिहार सरकार के तानाशाही रवैए का विरोध –हाजीपुर

हाजीपुर–बिहार राज्य के परंपरागत विश्वविद्यालय ,महाविद्यालय के स्वायतता एवं विद्यालयों के मर्यादा को अक्षुण बनाए रखने के संबंध में स्वामी विवेकानंद सामाजिक शोध संस्थान के सचिव हाजीपुर नगरवासी डॉ० अजीत कुमार ने आज बिहार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। प्रदर्शन के पश्चात एक सभा हुई जिसकी अध्यक्षता डॉ० अजीत कुमार ने किया जबकि संचालन राजपूत उर्फ गौरव ने की ।


सभा को अमित कुमार वर्मा उर्फ ‘रिंकू जी ” हरेश कुमार सिंह, अजय कुमार ,राजन कुमार ,संजय कुमार सिंह अधिवक्त ने संबोधित किया। डॉ० अजीत कुमार ने पत्र में महामहिम से प्रार्थना करते हुए बिहार राज्य के विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में अनावश्यक हस्तक्षेप और विद्यालयों की दैनिय हालत को ठीक करने के लिए अपने स्तर से हस्तक्षेप करने की मांग की है। डॉ० कुमार ने पत्र में लिखा है कि बहुत ही आदर और सम्मान के साथ मैं अपने महामहिम जी को करबद्ध प्रार्थना के साथ निवेदन करना चाहता हूं कि बिहार राज्य के अंतर्गत परंपरागत विश्वविद्यालय ,महाविद्यालय एवं विद्यालयों की मान मर्यादा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है ? शिक्षक, प्रोफेसर , शिक्षेकतर कर्मचारी, छात्र – छात्रा एवं अभिभावक विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों एवं विद्यालयों के गरिमा को बचाने के लिए आंदोलनरत हैं। आए दिन छात्र,अभिभावक ,प्राध्यापक, शिक्षक एवं कर्मचारी संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार के तहत धरना प्रदर्शन और आंदोलन करने को मजबूर हैं। विगत 5 -6 महीनो से विश्वविद्यालय के स्वायतता को बनाए रखने के लिए संघर्षरत हैं। बिहार सरकार के रवैया और उनके मातहत बड़े अधिकारियों के तुगलकी फरमान से छात्र शिक्षक चिंतित हैं, परेशान है। हम उल्लेख करना चाहेंगे कि विद्यालयों और महाविद्यालयों में सुधार के नाम पर कुलपति ,कुलसचिव ,प्राध्यापक एवं अध्यापको पर बेवजह दबाव बनाना, परेशान करना ,जांच के नाम पर शिक्षकों को मानसिक रुप से प्रताड़ित करना , परेशान करना ,डांटना- फटकारना आम बात हो गई है। जिसके कारण शिक्षक अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे हैं। वे अपने भविष्य के लिए सशंकित हैं। कई तो तनाव ग्रस्त हो अवसाद में चले गए हैं। शिक्षकों को खुलेआम डांटना, फटकारना उनके साथ असंसदीय भाषा का प्रयोग करना आम बात हो गई है। जिसका प्रतिकूल असर शैक्षिक वातावरण पर पड़ रहा है।
महामहिम आप स्वयं एक शिक्षिका रह चुकी हैं ।क्या शिक्षक को डराधमका कर और अपमानित कर शिक्षा में सुधार किया जा सकता है। कतई नहीं। कई विश्वविद्यालयों के कुल सचिव, कुलपति का वेतन रोक दिया गया ।वही बी० आर० अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति ,कुलसचिव के ऊपर झूठा मुकदमा कर उन्हें परेशान किया जा रहा है ।जिसके कारण विश्वविद्यालयो के पठन-पाठन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। शिक्षा में सुधार होनी चाहिए ।लेकिन शिक्षक प्राध्यापक को अपमानित और बेवजह परेशान करके नहीं हो सकता है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर बिना नियम कानून का पालन किए असंवैधानिक तरीके से मुकदमा कर दिया गया । स्थिति यह है कि विश्वविद्यालय की स्वायतता पर इन अधिकारियों का हस्तक्षेप और तुगलकी फरमान के कारण विश्वविद्यालयों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। सीनेट, सिंडिकेट और छात्र संघ का चुनाव नहीं होने के कारण लोकतांत्रिक तरीके से छात्र और शिक्षकों की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। मां सरस्वती के आंगन को राजनीतिक खेल का अखाड़ा बना दिया गया है।
महामहीम जी,आपसे विनय पूर्वक गुजारिश के साथ आपके संज्ञान में बिहार के विद्यालयों के शिक्षकों की दयनीय हालत के बारे में बता देना चाहता हूं ।शिक्षा विभाग जांच के नाम पर 8500 शिक्षकों तनख्वाह काट दी है । 39 शिक्षक सस्पेंड कर दिए गए ।वही 79 के खिलाफ सस्पेंशन की अनुशंसा कर दी गई है। यही नहीं बिहार जैसे शिक्षा और साक्षरता में मरहूम बिहार राज्य के विद्यालयों में नामांकित 22 लाख छात्रों का एडमिशन भी रद्द कर दिया गया। बिहार में शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य यथा बच्चों को घर से पकड़ कर लाने,जातीय जनगणना करने, पशु गणना करने, चुनावी कार्य करने आदि जैसे अनेक गैरशैक्षिक कार्यों में झोक दिया जाता है। इस तरह में स्कूल की पढ़ाई खत्म हो जाती है। स्कूल की हालत बद से बदतर हो गई है ।इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर कहीं भवन नहीं तो कहीं फर्नीचर नहीं । पेयजल और शौचालय की मुकम्मल व्यवस्था नहीं । छात्र-छात्रा वर्ग में पशु की तरह ठूस दिए जाते हैं, छात्र-छात्राओं को बैठने की जगह नहीं ।कहीं ब्लैक बोर्ड नहीं। विद्यालयों में मुकम्मल सुधार होनी चाहिए। जो बिहार सरकार नहीं कर रही है।


पत्र में महामहिम जी से करबद्ध प्रार्थना किया गया है कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था में आप अपने स्तर से हस्तक्षेप कर शिक्षकों के मानसिक प्रताड़ना से बचाए, विश्वविद्यालय की स्वायत्तता बना रहे और शिक्षा में मुलभुत परिवर्तन की नई रोशनी दिखाएं । जिससे कि बिहार के गरीब छात्र-छात्रा निर्वाधगति से शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्र के पुनर्निर्माण के सहभागी बने। जिससे भारत देश पुनः जगत गुरु के आसन पर विराजमान हो।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन पुष्कर श्री राजपूत उर्फ गौरव जी ने किया।

Ravi sharma

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