रोका- छेका अभियान से हुई फसलों की रक्षा — सीएम बघेल

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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रायपुर — फसलों को खुले में चरने वाले पशुओं से बचाने के लिये छत्तीसगढ़ के लिये रोका-छेका अभियान बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। सभी गिवों में एक साथ रोका-छेका किया जाये, जिससे फसलों को नुकसान ना हो। गांवो में बैठक कर इस अभियान के लिये पशुओं को एक जगह रोकने और उन्हें गोठान में एकत्र करने की जिम्मेदारी चरवाहों को दी जाये। पशुओं को गोठानों में रखने से खेतों की फसलों को बचाने के लिये घेरा करने में होने वाले खर्च की भी बचत होगी।
उक्त बातें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज राजधानी स्थित अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम रोका-छेका अभियान के शुभारंभ करते हुये कही। उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रदेश में अच्छी बारिश हुई है, फसलों की बुआई और थरहा लगाने का काम तेजी से शुरू हो गया है। पिछले वर्ष रिकार्ड 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर की गई। इस उपलब्धि में राज्य शासन की समर्थन मूल्य पर धान खरीदी , राजीव गांधी किसान न्याय योजना सहित किसान हितैषी योजनाओं के साथ-साथ रोका-छेका अभियान का भी महत्वपूर्ण योगदान है। यह एक शुभ संकेत है कि छत्तीसगढ़ में खेती के प्रति लोगों का रूझान बढ़ रहा है। सीएम बघेल ने ग्रामीणों से कहा कि वे गांवों के गौठानों में नेपियर घास लगायें जिससे पशुओं के लिये हरे चारे की व्यवस्था हो सके। मवेशियों को हरा चारा मिलेगा तो वे इधर-उधर नही जायेंगे। उन्होंने कहा कि दुधारू पशुओं को हरा चारा मिलने से उनका दूध बढ़ेगा। पैरा से केवल पेट भरता है। उन्होंने गौठानों में नस्ल सुधार का कार्यक्रम भी चलाने के लिये भी कहा। इस अवसर पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू , कृषिमंत्री रविन्द्र चौबे , लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रुद्रकुमार , मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा , मुख्य सचिव अमिताभ जैन , मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू , मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी , कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ एम.गीता , कृषि विभाग के विशेष सचिव डॉ. भारतीदासन और कृषि विभाग के संचालक यशवंत कुमार उपस्थित थे।

Ravi sharma

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