कोरोना संकट में देवदूत बनी डाॅक्टर कम्युनिटी — पीएम मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली — डॉक्टरों ने पिछले डेढ़ सालों में अहम भूमिका निभाते हुये मिसाल कायम की है। कोरोना संकटकाल में डॉक्टर कम्युनिटी ने खुद के जान की परवाह किये बिना देवदूत बनकर लाखों लोगों की जान बचाई है। डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। जब देश कोविड के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ रहा है , कई डॉक्टरों ने अपने अथक प्रयासों में अपना बलिदान भी दिया है , मैं उन सभी आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। देश के महान डाक्टर और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री विधानचंद्र राय के जन्मदिन और पुण्यतिथि की याद में यह दिवस मनाया जाता है। इस दिशा में सरकार देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के काम में जुटी है।
उक्त बातें आज नेशनल डाक्टर्स डे पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा। अपनी सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयासों के बारे में बताते हुये पीएम ने कहा कि पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान हमने अपने स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिये पंद्रह हजार करोड़ रुपये आवंटित किये थे। इस साल स्वास्थ्य सेवा के लिये दो लाख करोड़ रुपये से अधिक का बजट आवंटन है। उन्होंने आगे कहा कि 2014 तक जहां देश में केवल छह एम्स थे , इन सात सालों में 15 नये एम्स का काम शुरू हुआ है। मेडिकल कॉलेज की संख्या भी करीब डेढ़ गुना बढ़ी है , इसी का परिणाम है कि इतने कम समय में जहां अंडरग्रेजुएट सीट्स में डेढ़ गुने से ज्यादा की वृद्धि हुई है , पीजी सीट्स में 80 फीसदी इजाफा हुआ है। पीएम ने कहा कि हमारी सरकार ने डॉक्टर्स के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिये पिछले वर्ष ही कानून में कई कड़े प्रावधान किये । इसके साथ ही हम अपने कोविड वारियर्स के लिये फ्री इंश्योरेंस कवर स्कीम भी लेकर आये हैं। पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि इतने दशकों में जिस तरह का मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर देश में तैयार हुआ था , उसकी सीमायें आप भलीभांति जानते हैं, पहले के समय में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को किस तरह नजरअंदाज किया गया था, उससे भी आप परिचित हैं। हमारी सरकार का फोकस मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर है। हम डॉक्टरों की सेवा के दम पर ‘सर्वे भवंतु सुखिन:’ के हमारे संकल्प को अवश्य पूरा करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि एक और अच्छी चीज हमने देखी है कि मेडिकल फ्रेटर्निटी के लोग, योग के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए बहुत आगे आए हैं. योग को प्रचारित-प्रसारित करने के लिये जो काम आजादी के बाद पिछली शताब्दी में किया जाना चाहिये था, वो अब हो रहा है।

Ravi sharma

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