राष्ट्र निर्माण में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति होगी सहायक – पीएम मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली — बीते एक वर्ष में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल फर उतारने में कोरोना काल में काफी मेहनत की गई है ,कोरोना काल में ही इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। भविष्य में हम कितना आगे जायेंगे और कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे ? ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में यानि आज कैसी शिक्षा दे रहे हैं ?
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति को केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दिये जाने के एक साल पूरा होने के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुये कही।अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री ने बापू राष्ट्रपति महात्मा गांधी के सपनों के भारत से लेकर आधुनिक और आत्मनिर्भर भारत का मंत्र साकार करने की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक महत्वपूर्ण कदम के तौर पर उल्लेखित किया। उन्होंने आगे कहा कि भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में बड़े फैक्टर्स में से एक है। यह इक्कीसवीं सदी की पहली शिक्षा नीति है जिसने चौंतीस साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जगह ली है। इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने के लिये स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणालियों को सुधारों का रास्ता दिखाना है। पीएम ने युवाओं पर जोर देते हुये कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवाओं को ये विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है , उनके हौसलों के साथ है। पीएम ने कहा कि बीते एक वर्ष में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को आधार बनाकर कई बड़े फैसले लिये गये और इसमें कई योजनाओं को शुरू करने का मौका मिला , ये नई योजनायें नये भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभायेंगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के एक साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री ने देशवासियों और विद्यार्थियों को शुभकामनायें भी दी। पीएम मोदी ने इस मौके पर शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े कई महत्वपूर्ण योजनाओं जैसे राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा वास्तुकला (एनडीईएआर) और राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ) , जो एनईपी 2020 के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों में से हैं , को लॉन्च किया। उन्होंने इस कार्यक्रम में एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का शुभारंभ भी किया जो उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये कई प्रवेश और निकास का विकल्प प्रदान करेगा। इसके साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग कार्यक्रम और उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए दिशानिर्देश भी जारी किये। प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई अन्य पहलों में ग्रेड 1 के छात्रों के लिये तीन महीने का नाटक आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल ”विद्या प्रवेश , माध्यमिक स्तर पर एक विषय के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा , राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिये तैयार किये गये एकीकृत कार्यक्रम निष्ठा 2.0, सफल (सीखने के स्तर के विश्लेषण के लिये संरचित मूल्यांकन) , सीबीएसई स्कूलों में ग्रेड 3, 5 और 8 के लिये एक योग्यता आधारित मूल्यांकन ढांचा और पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समर्पित एक वेबसाइट भी शामिल है।कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ शिक्षामंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी मौजूद रहे। शिक्षामंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि इस शिक्षा नीति के तहत भारत वैश्विक शक्ति बनेगा। मैंने शिक्षा मंत्री का पद सम्हालते समय भी कहा था कि मेरा ध्यान राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को समयबद्ध तरीके से हासिल करने पर रहेगा।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को पिछले साल 29 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। इस नीति में शिक्षा की पहुंच , समता , गुणवत्ता , वहनीयता और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर देश की जीडीपी के छह प्रतिशत हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत ही ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ का नाम बदल कर ‘शिक्षा मंत्रालय’ करने को भी मंज़ूरी दी गई है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली पढाई से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बदलाव किये जाने का प्रस्ताव रखा गया है जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों का पूर्ण रूप से विकास और उन्हें विश्व स्तर पर सशक्त बनाना है। नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किये गये हैं। पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया गया है , इससे उन छात्रों को बहुत फ़ायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है।

Ravi sharma

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