राष्ट्रपति चुनाव के ठीक पहले श्रीलंका में आपातकाल लागू

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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कोलंबो (श्रीलंका) – राष्ट्रपति पद के लिये बीस जुलाई को होने वाले चुनाव से पहले आर्थिक संकट के बीच
श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने तत्काल प्रभाव से देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है। आदेश में कहा गया है कि आर्थिक संकट को देखते हुये कानून व्यवस्था व आवश्यक वस्तुओं की सुचारू आपूर्ति के लिये 18 जुलाई से आपातकाल लगाया जा रहा है।श्रीलंका में आपातकाल लागू करने वाला 17 जुलाई का सरकारी गजट 18 जुलाई सोमवार सुबह जारी किया गया। राष्ट्रपति को सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के भाग 2 (A) में आपातकालीन नियम लागू करने का अधिकार दिया गया है। इसमें कहा गया है कि अगर राष्ट्रपति को लगता है कि पुलिस स्थिति से निपटने में सक्षम नहीं है तो वह सशस्त्र बलों को पब्लिक ऑर्डर बनाये रखने के लिये आपातकाल को लेकर गैजेट जारी कर सकता है। इसका तात्पर्य है कि सुरक्षा बलों को छापे मारने , गिरफ्तार करने , जब्त करने , हथियार और विस्फोटकों को हटाने तथा किसी भी व्यक्ति के आवास में घुसने और तलाशी लेने का अधिकार है।

श्रीलंका में आपातकाल का इतिहास
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वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। श्रीलंका में आपातकाल या इमर्जेंसी का लंबा इतिहास है। वर्ष 1948 में अंग्रेजों से आजादी के बाद और उससे पहले भी कई बार देश आपातकाल भोग चुका है। आजादी के बाद सबसे पहले वर्ष 1958 में देश में आपातकाल लगाया गया था तब सिंहली भाषा को एकमात्र भाषा के रूप में अपनाने के विरोध में हालात बिगड़ने पर आपातकाल लगा था। वहीं श्रीलंका में सबसे लंबा आपातकाल वर्ष 1983 से 2011 तक रहा। श्रीलंकाई तमिलों व सिंहलियों के बीच उग्र व हिंसक आंदोलन के कारण करीब 28 साल तक आपातकाल लगा रहा। तमिल समूह लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानि लिट्टे श्रीलंका में अलग तमिल राज्य की मांग कर रहा था। गृहयुद्ध के हालात के बीच यहां आपातकाल लागू रहा। इसके बाद वर्ष 2018 में भी तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने मार्च में देश के कुछ हिस्सों में मुस्लिम विरोधी हिंसा को रोकने के लिये आपातकाल की घोषणा की थी। इस हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई थी , जबकि आगजनी के कारण संपत्ति का भी नुकसान हुआ था। इस तरह से देखा जाये तो श्रीलंका ने करीब चार दशक की अवधि तक आपातकाल झेला है। बताते चलें देश में राजनीतिक संकट और जन विद्रोह के बीच गोटबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद से यह पद रिक्त है। बीस जुलाई को राष्ट्रपति पद का चुनाव होने वाला है जिसमें 225 सदस्यीय संसद के नये राष्ट्रपति का चुनाव करने की उम्मीद है।

Ravi sharma

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