अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – उपराष्ट्रपति चुनाव के लिये एनडीए के बाद अब विपक्ष ने भी अपना उम्मीद्वार घोषित कर दिया है। एनडीए उम्मीद्वार जगदीप धनखड़ के सामने विपक्ष ने उपराष्ट्रपति के लिये मार्गरेट अल्वा पर अपना दांव लगाया है। उपराष्ट्रपति चुनाव में राजस्थान की पूर्व राज्यपाल अल्वा का मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रत्याशी एवं पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से होगा। उपराष्ट्रपति उम्मीद्वार के चयन हेतु विपक्ष की इस बैठक का आयोजन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के आवास पर हुआ। बैठक में कांग्रेस , तृणमूल कांग्रेस , वाम दल , राष्ट्रीय जनता दल , समाजवादी पार्टी सहित सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेता शामिल हुये। विपक्ष की सभी पार्टियों की मींटिग के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मार्गरेट अल्वा के नाम की घोषणा की। विपक्ष की तरफ से उम्मीद्वार बनाये जाने के बाद मार्गरेट अल्वा ने ट्वीट कर लिखा कि भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिये संयुक्त विपक्ष के उम्मीद्वार के रूप में नामित होना एक विशेषाधिकार और सम्मान की बात है। मैं इस नामांकन को बड़ी विनम्रता से स्वीकार करती हूं और विपक्ष के नेताओं को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझ पर विश्वास किया है।
कौन है मार्गरेट अल्वा
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मार्गरेट अल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 को मैंगलूर के पास्कल एम्ब्रोस नजारेथ और एलिजाबेथ नजारेथ के यहाँ हुआ था। अल्वा की पढ़ाई बंगलौर के माउंट कार्मेल कॉलेज और राजकीय लाँ कॉलेज में हुई। इनकी शादी 24 मई 1964 में निरंजन अल्वा से हुई। उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं। राजनीति में आने से पहले अल्वा जानी मानी एडवोकेट हुआ करती थी। एक वकील होने के साथ-साथ मार्गरेट अल्वा बहुत अच्छी पेंटर भी हैं। इसके आलावा वर्ष 1974 से 2004 तक वे पांच बार सासंद भी रहीं। उन्होंने केन्द्र सरकार में महत्वपूर्ण महकमों की राज्यमंत्री के रूप में भी काम किया। सासंद रहते हुये उन्होंने महिला-कल्याण के कई कानून पास कराने में अपनी प्रभावी भूमिका अदा की। महिला सशक्तिकरण संबंधी नीतियों का ब्लू प्रिन्ट बनाने और उसे केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा स्वीकार कराये जाने की प्रक्रिया में उनका मूल्यवान योगदान रहा। केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उन्होंने मानव-स्वतन्त्रता और महिला-हितों के लिये काम किया। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने उन्हें राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा भी। उन्होंने 06 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक उत्तराखण्ड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य किया। इसके बाद 12 मई 2012 से 07 अगस्त 2014 तक वे राजस्थान की राज्यपाल रह चुकी हैं।
विवादों में भी रहीं मार्गरेट अल्वा
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नवम्बर 2008 में उन्होंने जब अपनी पार्टी पर ही कांग्रेस सीटों के लिए टिकिटों के खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया, तो उन्हें अपनी स्पष्टवादिता की भारी कीमत चुकानी पड़ी और कांग्रेस पार्टी की महासचिव के पद से और सेन्ट्रल इलेक्शन कमेटी और महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा तथा मिजोरम राज्यों के लिए कांग्रेस पार्टी की प्रभारी पद से भी मुक्त होना पड़ा।
छह अगस्त को होगा मतदान
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उपराष्ट्रपति चुनाव के लिये इच्छुक उम्मीद्वार 19 जुलाई तक अपने नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं। नामांकन पत्रों की जांच 20 जुलाई को होगी। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिये नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीद्वार अपना नामांकन पत्र 22 जुलाई तक वापस ले सकेंगे। उपराष्ट्रपति चुनने के लिये 06 अगस्त को सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक वोट डाले जायेंगे।