मशहूर क्रिकेटर यशपाल शर्मा ने दुनियां को कहा अलविदा-नईदिल्ली

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – पहले विश्व विजेता टीम के हिस्सा रहे और अंतर्राष्ट्रीय एकदिवसीय क्रिकेट में कभी शून्य पर पवेलियन नहीं लौटने का अनोखा रिकॉर्ड कायम करने वाले दायें हाथ के बल्लेबाज यशपाल शर्मा (66 वर्षीय) ने अब इस दुनियां को अलविदा कह दिया है। आज सुबह हार्ट अटैक आने की वजह से उनका निधन हो गया , उनके निधन से खेल जगत में शोक की लहर है। उनके परिवार में पत्नी , दो पुत्रियां और एक पुत्र है। उनके निधन पर महामहिम राष्ट्रपति सहित कई दिग्गज नेताओं , खेल जगत से जुड़े लोगों और प्रशंसकों ने इस महान क्रिकेटर को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। यशपाल शर्मा मूल रूप से लुधियाना (पंजाब) के रहने वाले थे , जिनका जन्म 11 अगस्त 1954 को हुआ था। पंजाब के स्कूल की ओर से खेलते हुये यशपाल शर्मा ने 260  रनों का पहाड़ स्कोर बनाया था , जिसके बाद से ही वो लगातार सुर्खियों में रहे थे। इंटरनेशनल क्रिकेट में यशपाल शर्मा का डेब्यू चिर प्रतिद्वंद्वी टीम पाकिस्तान के खिलाफ सियालकोट में खेले वनडे मुकाबले से वर्ष 1978 में हुआ , इसके बाद अगले ही साल उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच भी इंग्लैंड के खिलाफ क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर खेला , जबकि वर्ष 1983 में अपना आखिरी टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ दिल्ली में खेला था। उन्होंने भारत के लिये कुल 37 टेस्ट मैच खेले थे जिसमें 33.46 की औसत से 1606 रन बनाये थे। इसमें दो सेंचुरी के साथ ही 09 हाफ सेंचुरी बनाये थे। टेस्ट मैचों में इनका सर्वोच्च स्कोर 140 रन रहा। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अपना पहला शतक सातवें मैच में आस्ट्रेलिया के खिलाफ दिल्ली में लगाया। इसी तरह उन्होंने वर्ष 1978 में वनडे डेब्यू किया था और वर्ष 1985 में इंग्लैंड के खिलाफ चंडीगढ़ में अपना आखिरी वनडे मैच खेला था , वहीं कुल 42 वनडे मैच में उन्होंने 28.48 की औसत से 883 रन बनाये थे। हालांकि वनडे क्रिकेट में वे कभी शतक नहीं ठोंक पाये लेकिन 04 बार अर्धशतकीय पारियां उन्होंने जरूर खेली। वर्ष 1985 में अपने करियर का आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले यशपाल शर्मा को सात साल के अंतराल में कभी कोई गेंदबाज वनडे क्रिकेट में शून्य पर आउट नहीं कर सका।

विश्व विजेता टीम के अहम हिस्सा
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यशपाल शर्मा वर्ष 1983 में विश्व कप जीतने वाली टीम का अहम हिस्सा थे। वर्ल्डकप में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ खेले गये पहले मैच में यशपाल शर्मा ने 89 रनों की शानदार पारी खेली थी , जिसमें भारत ने वेस्टइंडीज को हराकर इतिहास रचा था। इस वर्ल्ड कप में वे भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले दूसरे खिलाड़ी थे। इसके अलावा सेमीफाइनल में भी यशपाल शर्मा ने 61 रन बनाकर वे टीम के टाप स्कोरर रहे। बाब विलिस की यार्कर जैसी गेंद पर लेग साइड में जमाया हुआ उनका छक्का आज भी क्रिकेट इतिहास के यादगार शाट्स में अंकित है। तब भारत ने इंग्लैंड को मात दी थी। वर्ष 1983 के वर्ल्डकप के बाद यशपाल शर्मा का करियर लगातार ढलान की ओर जाने लगा। खराब परफॉर्मेंस के कारण यशपाल शर्मा को पहले टेस्ट टीम से बाहर निकाला गया , उसके बाद वे वनडे में भी वापसी नहीं कर पाये। इंटरनेशनल क्रिकेट के अलावा घरेलू क्रिकेट में भी यशपाल शर्मा ने खूब रन बनाये। उन्होंने 160 फर्स्ट क्लास मैचों में 44.88 की औसत से 8933 रन बनाये जिनमें उन्होंने 21 शतक और 46 अर्धशतक लगाये। वहीं 741लिस्ट ए मैचों में 34.42 की औसत से 1859 रन बनाये , जिनमें वे 12 शतक लगाने में सफल रहे।

पूरा जीवन क्रिकेट को समर्पित
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भारत के मीडिल ऑर्डर की रीढ़ रहे यशपाल शर्मा का लगभग पूरा जीवन क्रिकेट को समर्पित रहा। क्रिकेट से रिटायर होकर भी वे इस खेल से जुड़े रहे। वे टीम इंडिया के नेशनल सेलेक्टर भी बने , उनका पहला फेज सेलेक्टर की भूमिका में वर्ष 2003 से दिसंबर 2005 तक का रहा। इसके बाद वर्ष 2008 में इस रोल में उनकी दोबारा से वापसी हुई। बतौर सेलेक्टर उन्होंने भारतीय क्रिकेट से जुड़े कई अहम फैसलों में अपना योगदान दिया, जिसमें सौरव गांगुली बनाम ग्रेग चैपल विवाद भी शामिल है। टीम इंडिया के सेलेक्टर बनने से पहले उन्होंने कुछ वक्त तक अंपायरिंग भी की। वे उत्तरप्रदेश की रणजी टीम के कोच भी रहे।

Ravi sharma

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