अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली — दो दिवसीय भारत यात्रा पर पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन यहां द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने तथा अफगानिस्तान में तेजी से बदल रही सुरक्षा स्थिति और क्वाड तंत्र के तहत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने जैसे विषयों पर गहन चर्चा किये। इस दौरे से दोनों देशों के बीच व्यापार , निवेश , स्वास्थ्य सुविधा , शिक्षा , डिजिटल डोमेन , इनोवेशन और सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी। वहीं अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि अमेरिका भारत के अग्रणी वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने का समर्थन करता है। अमेरिकी विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार सम्हालने के बाद ब्लिंकन की यह पहली और जनवरी में बिडन प्रशासन के सत्ता में आने के बाद उसके किसी उच्चस्तरीय अधिकारी की तीसरी भारत यात्रा है। इनसे पहले मार्च में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन तथा अप्रैल में जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जॉन केरी ने भारत की यात्रा की थी। अपने भारत यात्रा के दौरान ब्लिंकन ने दिल्ली में तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा के एक प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि सिविल सोसायटी के नेताओं से मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई है। भारत और अमेरिका हमेशा से लोकतंत्र समर्थक रहे हैं , यह हमारे संबंधों का आधार भी है। अफगानिस्तान के मुद्दे पर ब्लिंकन ने भारत के साथ काम करने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से सेना वापस बुलाने के बाद भी हम वहां के लोगों के हित के लिये काम करते रहेंगे , हम इलाके में शांति स्थापित करना चाहते हैं।ब्लिंकन ने कहा कि हमने अफगानिस्तान के हालातों पर चर्चा की। भारत और अमेरिका दोनों ही अफगानिस्तान में मजबूत सरकार और शांति के समर्थक हैं। क्षेत्र में विश्वसनीय सहयोगी होने के कारण अफगानिस्तान के विकास में भारत का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और आगे भी रहेगा। इससे पहले ब्लिंकन ने भारतीय विदेश मंत्री एस० जयशंकर से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जो बिडेन का संकल्प है कि भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत करने का सिलसिला जारी रखना है। ब्लिंकन ने कहा कि मैं उस काम की गहराई से सराहना करता हूं जो हम एक साथ करने में सक्षम हैं और जो काम हम आने वाले महीनों में एक साथ करेंगे।अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसी कोई चुनौती नहीं है , जिसका हमारे नागरिकों के जीवन पर असर ना हो। चाहे वह कोरोना हो , उभरती टेक्नोलॉजी का बुरा प्रभाव हो। इन समस्याओं से कोई भी देश अकेले नहीं निपट सकता। देशों के बीच पहले से कहीं अधिक सहयोग की जरूरत है। ब्लिंकन ने एस जयशंकर से मुलाकात के दौरान संबंध मजबूत करने पर जोर दिया। इस दौरान जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर हमारी बातचीत पुराने अनुभवों के आदान-प्रदान से मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत में शांति और समृद्धि हम दोनों के लिये उतनी ही अहम है , जितनी अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक स्थिरता। एक सहयोगी मंच के रूप में क्वाड को मजबूत करना हम दोनों के हित में है। हमें आतंकवाद जैसी मौजूदा चुनौतियों पर मिलकर काम करना चाहिये। ब्लिंकन ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मुलाकात कर सुरक्षा , रक्षा , आर्थिक और तकनीक से संबंधित क्षेत्रों में अहम रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। संबंधों को अगले स्तर तक ले जाने के लिये लॉन्ग-टर्म उपायों पर खास ध्यान दिया। दोनों ने एक घंटे की बैठक में क्षेत्रीय और ग्लोबल सिक्योरिटी से जुड़े समकालीन और भविष्य के मुद्दों पर बातचीत की। इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन अगले पड़ाव कुवैत के लिये रवाना हो गये।