बाबासाहब का योगदान उल्लेखनीय – राष्ट्रपति

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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लखनऊ – बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर एक शिक्षाविद , अर्थ-शास्त्री , विधिवेत्ता , राजनीतिज्ञ , पत्रकार , समाज-शास्त्री व समाज सुधारक तो थे ही। उन्होंने संस्कृति , धर्म और अध्यात्म के क्षेत्रों में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है। भारतीय संविधान के शिल्पकार होने के अलावा हमारे बैंकिंग , इरिगेशन , इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम , लेबर मैनेजमेंट सिस्टम , रेवेन्यू शेयरिंग सिस्टम , शिक्षा व्यवस्था आदि सभी क्षेत्रों पर डॉक्टर आंबेडकर के योगदान की छाप है। उनके विजन में ‘नैतिकता’, ‘समता’, ‘आत्म-सम्मान’ और ‘भारतीयता’ ये चार बातें महत्वपूर्ण रही है। इन चारों आदर्शों तथा जीवन मूल्यों की झलक बाबासाहब के चिंतन एवं कार्यों में दिखाई देती है।
उक्त बातें महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज लखनऊ में अपने प्रवास के दूसरे दिन लोकभवन से भारत रत्न डा० भीमराव अम्बेडकर के स्मारक व सांस्कृतिक केन्द्र का शिलान्यास करते हुये कही। इसके पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। महामहिम ने यहां लोकभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा की उपस्थिति में केन्द्र की नींव रखी। राष्ट्रपति ने कहा भगवान बुद्ध के विचारों का भारत की धरती पर इतना गहरा प्रभाव है कि भारतीय संस्कृति के महत्व को ना समझने वाले साम्राज्यवादी लोगों को भी महात्मा बुद्ध से जुड़े सांस्कृतिक आयामों को अपनाना पड़ा। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने भगवान बुद्ध के विचारों को प्रसारित किया। उनके इस प्रयास के मूल में करुणा , बंधुता , अहिंसा , समता और पारस्परिक सम्मान जैसे भारतीय मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का और सामाजिक न्याय के आदर्श को कार्यरूप देने का उनका उद्देश्य परिलक्षित होता है। बाबासाहब आधुनिक भारत के निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका के पक्षधर थे। वे महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिये सदैव सक्रिय रहे। बाबासाहब द्वारा रचित हमारे संविधान में आरंभ से ही मताधिकार समेत प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को समान अधिकार प्रदान किये गये हैं। भारत सरकार द्वारा बाबासाहब से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया गया है। महू में उनकी जन्मभूमि , नागपुर में दीक्षाभूमि , दिल्ली में परिनिर्वाण स्थल , मुम्बई में चैत्यभूमि तथा लंदन में ‘आंबेडकर मेमोरियल होम’ को तीर्थ स्थलों की श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने कहा कि आज महिलाओं के संपत्ति पर उत्तराधिकार जैसे अनेक विषयों पर बाबासाहब द्वारा सुझाये गये मार्ग पर ही हमारी विधि-व्यवस्था आगे बढ़ रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बाबासाहब की दूरदर्शी सोच अपने समय से बहुत आगे थी। बाबासाहब के जीवन-मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप समाज व राष्ट्र का निर्माण करने में ही हमारी वास्तविक सफलता है। इस दिशा में हमने प्रगति अवश्य की है लेकिन अभी हमें और आगे जाना है।
इस अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति का स्वागत करते हुये राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हम सभी के लिये यह गौरव की बात है कि देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कर कमलों से संविधान निर्माता भारत रत्न डॉक्टर भीमराव आंबेडकर मेमोरियल एवं सांस्कृतिक सेंटर का शिलान्यास हो रहा है। विश्वास है कि यह स्मारक हमारे युवाओं के लिये एक प्रेरणा स्रोत होगा। हमारे संविधान के शिल्पकार बाबा साहेब पूरे देश के लिये सम्मान के प्रतीक हैं और उनका नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज ही के दिन बाबासाहब ने 93 वर्ष पहले 1928 में ‘समता’ नामक साप्ताहिक समाचार पत्र की शुरुआत की थी और देश के अंदर समतामूलक समाज की स्थापना की लड़ाई का शुभारंभ किया था। उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा स्थापित डाक्टर भीमराव अम्बेडकर मेमोरियल एवं सांस्कृतिक केंद्र का शुभारंभ बाबासाहब की स्मृतियों को जीवंत बनाये रखेगा। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि जहां भी दलित , पिछड़ों और वंचितों के लिये न्याय की बात आयेगी वहां बाबासाहब का नाम पूरे सम्मान से लिया जायेगा। इससे पहले महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद , उनकी पत्नी देश की प्रथम महिला सविता कोविंद , राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डाक्टर दिनेश शर्मा , भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व एमएलसी स्वतंत्र देव सिंह ने डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया। अपने दो दिवसीय कार्यक्रम समाप्ति पश्चात महामहिम राष्ट्रपति विशेष विमान से दिल्ली के लिये रवाना हो गये।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते उत्तरप्रदेश कैबिनेट ने ऐशबाग में आंबेडकर स्मारक सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण के लिये राज्य के सांस्कृतिक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। स्मारक ऐशबाग ईदगाह के सामने 5493.52 वर्ग मीटर नजूल भूमि पर बनेगा और इसमें डॉ अंबेडकर की 25 फीट ऊंची प्रतिमा भी होगी। लगभग 45.04 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले स्मारक में 750 लोगों की क्षमता वाला एक सभागार , पुस्तकालय , अनुसंधान केंद्र , चित्र गैलरी , संग्रहालय , एक बहुउद्देश्यीय सम्मेलन केंद्र , कैफेटेरिया , छात्रावास और अन्य सुविधायें भी होंगी।

Ravi sharma

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