कई ऐतिहासिक फैसलों के प्रणेता जस्टिस अशोक भूषण हुये सेवानिवृत्त-नईदिल्ली

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली — अयोध्या विवाद सहित कई ऐतिहासिक फैसलों को देने वाली पीठ में शामिल रहे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण आज कोविड में जान गंवाने वाले परिवारों को आर्थिक मदद देने का आदेश सरकार को देने के एक और एतिहासिक फैसला देकर सेवानिवृत्त हो गये। वैसे तो जस्टिस अशोक भूषण चार जुलाई को रिटायर होंगे लेकिन वे आज ही छुट्टी पर चले गये हैं यानि आज ही उनका आखिरी कार्यदिवस था। दरअसल आज वे अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये चले गये हैं। अब वे अपने रिटायरमेंट के दिन कोर्ट नहीं आयेंगे इसलिये उनका अंतिम कार्यदिवस आज यानि बुधवार को ही मनाया गया। यहां चीफ जस्टिस और कोर्ट की सुनवाई में मौजूद अन्य जजों, न्यायिक अधिकारियों और वकीलों ने उनको विदाई दी। इस दौरिन चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि जस्टिस भूषण को उनके कई ऐतिहासिक फैसले देने और कई फैसलों में उनके योगदान को याद रखा जायेगा। आज ही दिया गया कोविड पीड़ितों के आश्रितों को आर्थिक सहायता का फैसला हो या अयोध्या विवाद में दिया गया पांच जजों की विशेष पीठ का फैसला , आधार कार्ड पर विवाद हो या कोविड संकट के दौरान प्रवासी मजदूरों का मामला , जस्टिस भूषण ने हर मामले में अपनी न्यायिक समझ और सूझबूझ का प्रदर्शन किया है।
गौरतलब है कि पांच जुलाई 1956 को उत्तरप्रदेश के जौनपुर में अशोक भूषण का जन्म हुआ। उन्होंने वर्ष 1975 में ग्रेजुएशन कर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से वर्ष 1979 में ला किया। इसके बाद 06 अप्रैल 1979 में सिविल लॉ में प्रैक्टिस शुरू की। तेरह मई 2016 को जस्टिस अशोक भूषण को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था। इससे पहले, वह अगस्त 2014 से केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। इसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बेंच में पदोन्नत होने तक सिविल और मूल पक्ष पर अभ्यास शुरू किया। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय , राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड और कई नगर बोर्डों , बैंकों और शिक्षा संस्थानों के स्थायी वकील के रूप में काम किया है। उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में भी चुना गया था। अप्रैल 2001 में उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया।बाद में उन्हें हाईकोर्ट का जस्टिस बनाया गया। 24 अप्रैल 2001 को स्थायी जज बनाया गया और फिर 10 जुलाई 2014 को केरल हाईकोर्ट का जस्टिस बनाया गया और फिर 26 मार्च 2015 को केरल हाईकोर्ट का ही चीफ जस्टिस बनाया गया। 13 मई 2016 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाया गया था। जज के रूप में जस्टिस भूषण ने दो दशक से ज्यादा समय तक न्यायिक आदेश और फैसले दिये। एक से एक पेचीदा मसलों पर सुनवाई कर फैसला दिया। कई चीफ जस्टिस ने उनके संविधान से जुड़े मसलों पर ज्ञान , सूझ और तर्कों की प्रशंसा की है। सीजेआई जस्टिस रमणा ने कहा कि जज अपने फैसलों की वजह से ही याद किये जाते हैं , जस्टिस भूषण ने कई यादगार फैसले दिये हैं जिनका हवाला सदियों तक न्यायिक जगत में दिया जाता रहेगा। जस्टिस भूषण के फैसले उनके कल्याणकारी और मानवतावादी दृष्टिकोण के सबूत हैं। वहीं जस्टिस भूषण ने कहा कि न्यायपालिका से जुड़ने के कारण वो गर्व महसूस करते हैं। बार की तारीफ करते हुये जस्टिस भूषण ने कहा कि जो भी जजमेंट होता है उसमें बार का योगदान ज्यादा रहता है।

मां का हुआ अंतिम संस्कार
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सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक भूषण की मां कलावती श्रीवास्तव (91 वर्षीया) बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गईं। रसूलाबाद घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ , मुखाग्नि छोटे बेटे हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल भूषण ने दी। उनके अंतिम दर्शन के लिये उनके आवास व रसूलाबाद घाट पर हाईकोर्ट के कई जज , अधिवक्ताओं के अलावा गण्यमान्य नागरिक पहुंचे। श्रद्धांजलि देने वालों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय यादव , वरिष्ठ न्यायमूर्ति एमएन भंडारी , न्यायमूर्ति नीरज तिवारी , न्यायमूर्ति वाई०के० श्रीवास्तव , न्यायमूर्ति गौतम चौधरी , न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा , न्यायमूर्ति सिद्धार्थ , न्यायमूर्ति दीपक वर्मा , वरिष्ठ अधिवक्ता राधाकांत ओझा , राकेश पांडेय , अमरेंद्रनाथ सिंह , स्थायी अधिवक्ता अभिषेक शुक्ल , अशोक खरे , प्रभाशंकर मिश्र , एन०के० चटर्जी , शरदचंद्र मिश्र , मृत्युंजय तिवारी , रंजन श्रीवास्तव आदि थे।

Ravi sharma

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