अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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जगन्नाथपुरी — पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धन मठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमद्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के निर्देशानुसार उड़ीसा राज्य प्रशासन ने पुरी महोदधि तट पर शराब बेचने के अपने निर्णय को वापस ले लिया है। राज्य सरकार द्वारा जनकल्याणार्थ लिया गया यह निर्णय स्वागत योग्य है।
सर्वविदित है कि हिन्दू राष्ट्र संघ के स्वप्नदृष्टा एवं हिन्दुओं के सार्वभौम धर्मगुरु पुरी शंकराचार्य जी जो कि श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी के शंकराचार्य परंपरा में 145 वें क्रम पर है। उनके मार्गदर्शन में सनातन मानबिन्दुओं की रक्षा हेतु जनजागरण , राष्ट्र रक्षा अभियान हेतु पूरे राष्ट्र का प्रवास तथा प्रथम चरण में भारत , नेपाल एवं भूटान को हिन्दू राष्ट्र बनाने का अभियान संचालित है। पुरी शंकराचार्य जी का कथन है कि मठ से संचालित समस्त अभियान वास्तव में श्रीमन्नारायण एवं श्री शंकराचार्य परंपरा तथा गुरुओं द्वारा ही संचालित होता है , जिसके वे एक निमित्त मात्र बनते हैं। उनका मानना है कि प्रकृति के अवयव पृथ्वी , पानी , तेज , पवन , आकाश को विकृति से बचाकर शुद्ध रखना है तभी मानव जाति का अस्तित्व संभव हो सकेगा। इसके तहत समस्त तीर्थस्थल , पर्वत , नदी , समुद्र आदि को भी संरक्षित किया जाना आवश्यक है। इसी क्रम में पुरी के समुद्र स्थल के प्रति धार्मिक भावना उज्जीवित करने हेतु प्रतिदिन समुद्र आरती तथा वर्ष में एक बार वृहदरूप में महोदधि महोत्सव आयोजन के परंपरा की शुरुआत की गई थी। इस संबंध में पूर्व इतिहास है कि श्रीजगन्नाथ पुरी एक भगवत्धाम है और पुरुषोत्तम महोदधि तीर्थ क्षेत्र है। राज्य सरकार द्वारा तपोभूमि पुरी के समुद्र पर पाँच स्थानों पर शराब बेचकर तीर्थ भूमि को पर्यटन विकास के नाम पर सुरा और सुन्दरी का केन्द्र बनाने के प्रपञ्च का जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने कड़ी प्रतिक्रिया एवं विरोध करते हुये राज्य प्रशासन को चेतावनी दी थी कि इस निर्णय को तुरन्त निरस्त किया जाये अन्यथा अगर बलपूर्वक तपोभूमि में शराब का व्यापार करने का निर्णय क्रियान्वयित किया तो सरकार का अस्तित्व ख़तरे में आ सकता है। पुरीपीठाधीश्वर श्रीमद्जगद्गुरू शंकराचार्य जी के निर्देशानुसार राज्य प्रशासन ने पुरी महोदधि तट पर शराब बेचने के अपने निर्णय को निरस्त कर दिया है। राज्य सरकार द्वारा सभी के हित में लिया गया यह निर्णय स्वागत योग्य है।
गौरतलब है कि पूज्यपाद गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य जी के हृदय में सागर और सागर तट को सुरक्षित रखने की भावना से नित्य सायंकाल स्वर्गद्वार — पुरी में सागर आरती का पौष शुक्ल पूर्णिमा विक्रमसम्वत् 2063 तदानुसार 03 जनवरी 2007 के दिन महाराजश्री द्वारा संस्थापित संगठन आदित्यवाहिनी – आनन्दवाहिनी तथा पीठपरिषद् के अमोघ अभियान से तथा सामाजिक और राजनैतिक संगठनों के पूर्ण सौजन्य से सायं 06.30 पर उड़ीसा विधानसभा के अध्यक्ष महेश्वर महन्ती तथा राजस्थान के स्व.लक्ष्मणानन्द सरस्वती आदि प्रमुख सन्तों पूर्व उपवाचस्पति रामचन्द्रपाण्डा , वरिष्ठ अधिवक्ता वामदेवमिश्र तथा नगरपालिका पुरी के अध्यक्ष गौरहरि एवं पुरी– नरेश गजपति दिव्यसिंहदेव के मङ्गलमय सान्निध्य में हजारों दर्शकों की विद्यमानता में शुभारम्भ हुआ था। तब से लेकर आज तक यह आरती कार्यक्रम सतत् एवं निर्बाध गति रीति से प्रतिदिन सायं चल रहा है। इस कार्य के सम्पादन के लिये श्रीगोवेर्द्धनमठ प्रतिवर्ष लाखों रूपये खर्च करती है। विश्वास है कि परस्पर सामञ्जस्य का यह वातावरण भविष्य में भी बना रहेगा।