राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने दिनेश गुणवर्धने को किया श्रीलंका का प्रधानमंत्री नियुक्त

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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कोलंबो (श्रीलंका) – श्रीलंका के वरिष्ठ राजनेता , संसद सदस्य , पूर्व कैबिनेट मंत्री और सांसद दिनेश गुणवर्धने को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। गुणवर्धने की नियुक्ति श्रीलंकाई सुरक्षा बलों द्वारा राष्ट्रपति भवन के पास डेरा डाले प्रदर्शनकारियों को हटाये जाने और कई लोगों की गिरफ्तारी के बाद हुई है। राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कोलंबो के फ्लावर रोड स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में उन्हें पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। गुणवर्धने अप्रैल में पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान गृहमंत्री बनाये गये थे। वे विदेश मंत्री और शिक्षा मंत्री के तौर पर भी अपनी सेवायें दे चुके हैं। वे विक्रमसिंघे के सहपाठी भी रहे हैं। चूंकि श्रीलंका भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश की आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि आवश्यक सामान व ईंधन आयात करने का भी पैसा नहीं है। ऐसे में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री की नई जोड़ी पर देश को इस मुसीबत से निकालकर पटरी पर लाने की अहम जिम्मेदारी है। विक्रमसिंघे ने देश के सामने आ रहे अभूतपूर्व आर्थिक संकट को दूर करने के लिये सभी राजनीतिक दलों से मिलकर काम करने का आह्वान किया है। पिछले सप्ताह देश में जबर्दस्त उपद्रव व विरोध प्रदर्शन के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया अपने परिवार के साथ देश छोड़कर भाग गये। इसके बाद संसद ने रानिल विक्रमसिंघे को गोटबाया के शेष कार्यकाल के लिये राष्ट्रपति चुना है। विक्रमसिंघे छह बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। लेकिन राष्ट्रपति पद पर वे पहली बार आये हैं। वहीं विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के वास्ते राहत सौदे के लिये अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ चल रही बातचीत को निरंतरता मिलेगी।बताते चलें देश के हालात आर्थिक तंगी से गुजर रहे है जहां पर देश की आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि जनता सड़कों पर उतर आई और जमकर विरोध-प्रदर्शन किया। जिसे देखते हुये पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया देश छोड़ कर चले गये और उन्होने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। पीएम रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया और फिर चुनाव में मिली जीत के बाद विक्रमसिंघे राष्ट्रपति बनें। हालांकि रानिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद भी श्रीलंका में शांति में बहाली नहीं हुई और उन्हें गोटबाया का मोहरा बताते हुये प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन और तेज कर दिया। राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिये सशस्त्र सैनिकों को तैनात किया गया था। प्रदर्शन को कंट्रोल करने के लिये सैनिकों ने प्रदर्शनकारियों के टेंट उखाड़ना शुरू कर दिए तो वे उग्र हो उठे। सशस्त्र बलों की कार्रवाई के बीच प्रदर्शनकारियो ने कहा- हम अपने देश को ऐसी घटिया राजनीति से मुक्त बनाना चाहते हैं।
गौरतलब है कि सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) का एक घटक दल वामपंथी महाजन एकथ पेरामुना के नेता दिनेश गुणवर्धने का जन्म 02 मार्च 1949 में फिलिप गुणवर्धने और कुसुमा गुणवर्धने के घर हुआ। दिनेश उनके पिता फिलिप गुणवर्धने ‘बोरालुगोडा के शेर’ के रूप में जाने जाते थे, और स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक रहे। वे वर्ष 1948 में देश की आजादी से पहले ब्रिटिश काल में वामपंथी समाजवादी आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा थे। दिनेश की शुरुआती शिक्षा रॉयल प्राइमरी स्कूल कोलंबो और रॉयल कॉलेज कोलंबो में हुई। स्कूल के बाद उन्होंने नीदरलैंड स्कूल ऑफ बिजनेस (न्येनरोड बिजनेस यूनिवर्सिटी) में आगे की पढ़ाई की। बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में डिप्लोमा के साथ ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वै ओरेगन विश्वविद्यालय में आगे की पढ़ाई के लिये चले गये। अमेरिका में रहते हुये वे छात्र आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुये। वियतनाम युद्ध विरोधी विरोध प्रदर्शनों में भी भाग लिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद गुणावर्धने ने न्यूयॉर्क में काफी वक्त तक काम किया , लेकिन वर्ष 1972 में उनके पिता की मौत हो गई , इसलिये उन्हें कोलंबो लौटना पड़ा। उन्हें अगस्त 1973 में महाजन एकथ पेरामुना की केंद्रीय समिति में नियुक्त किया गया था। वे वर्ष 1974 में एमईपी के महासचिव बने। गुणवर्धने वर्ष 1977 के संसदीय चुनाव में एविसावेला में एमईपी के उम्मीद्वार थे , लेकिन निर्वाचित होने में असफल रहे। वे फिर से वर्ष 1983 के उपचुनाव में महारागामा इलेक्टोरल डिस्ट्रिक्ट में एमईपी के उम्मीद्वार थे। इस बार उन्होंने चुनाव में जीत हासिल की और संसद में प्रवेश किया। गुणावर्धने ने वर्ष 1989 के संसदीय चुनाव में बहु-सदस्यीय कोलंबो चुनावी जिले में एमईपी के उम्मीद्वारों में से एक के रूप में सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा। वर्ष 1994 के संसदीय चुनाव में वह फिर से कोलंबो जिले में एमईपी के उम्मीदवारों में से एक थे , लेकिन एमईपी संसद में कोई भी सीट जीतने में विफल रहा। फिर 27 अगस्त 2000 को एमईपी पीपुल्स अलायंस में शामिल हो गये। गुणावर्धने ने कोलंबो जिले में पीए के उम्मीद्वारों में से एक के रूप में 2000 का संसदीय चुनाव लड़ा जिसमें निर्वाचित होकर उन्होंने संसद में फिर से प्रवेश किया। उन्हें परिवहन मंत्री नियुक्त किया गया। सितंबर 2001 में पर्यावरण का अतिरिक्त विभाग दिया गया था। गुणवर्धने ने वर्ष 2004 के संसदीय चुनाव में कोलंबो जिले में यूपीएफए ​​के उम्मीद्वारों में से एक के रूप में चुनाव लड़कर जीत हासिल की। चुनाव के बाद उन्हें शहरी विकास और जल आपूर्ति मंत्री और शिक्षा उप मंत्री नियुक्त किया गया। जून 2008 में उन्हें मुख्य सरकारी सचेतक भी नियुक्त किया गया था। वर्ष 2015 तक वे मंत्रिमंडल में वरिष्ठ पदों पर बने रहे। गुणवर्धने ने रमानी वत्सला कोटलावेला से शादी की। दंपति की दो संतानें हैं -बेटे का नाम यादामिनी जो सांसद है और बेटी का नाम संकपाली है। वर्ष 1980 के दशक के मध्य में रमानी की हेपेटाइटिस से मौत हो गई थी।

कई विभाग का मंत्री पद सम्हाला
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दिनेश गुणवर्धने पहले अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 तक , दूसरी बार जनवरी 2020 से अगस्त 2020 तक और तीसरी बार अगस्त 2020 में सदन के नेता बने। इसके अलावा उन्होंने कई विभागों का मंत्री पद भी सम्हाला। जिनमें – परिवहन मंत्री (अक्टूबर 2000 – सितंबर 2021) , परिवहन और पर्यावरण मंत्री (सितंबर 2001 – दिसंबर 2001) , शहरी विकास और जल आपूर्ति मंत्री (अप्रैल 2004 – जनवरी 2007) , उप उच्च शिक्षा मंत्री (अप्रैल 2004 – नवंबर 2005) , शहरी विकास और पवित्र भूमि विकास मंत्री (जनवरी 2007 – अप्रैल 2010) , शहरी विकास और पवित्र भूमि विकास मंत्री, जल आपूर्ति मंत्री (अप्रैल 2010 – जनवरी 2015) , मेगापोलिस और पश्चिमी विकास मंत्री (नवंबर 2018 – दिसंबर 2018) , विदेश मामलों के मंत्री , कौशल विकास , रोजगार और श्रम (नवंबर 2019 – मार्च 2020) , विदेश मंत्री (अगस्त 2020 – अगस्त 2021) , शिक्षा मंत्री (अगस्त 2021 – अप्रैल 2022) , लोक प्रशासन , गृह मामलों , प्रांतीय परिषदों और स्थानीय सरकार के मंत्री (अप्रैल 2022- वर्तमान तक)।

Ravi sharma

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