हमारे संविधान की विशेषता में राष्ट्रहित सर्वोपरि – पीएम मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – हमारा संविधान ये सिर्फ अनेक धाराओं का संग्रह नहीं है , हमारा संविधान सहस्त्रों वर्ष की महान परंपरा , अखंड धारा उस धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है। संविधान के प्रति समर्पण और इस संवैधानिक व्यवस्था से जन प्रतिनिधि के रूप में ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक जो भी दायित्व निभाते हैं , हमें संविधान के भाव से अपने आप को सजग रखना होगा। संविधान को कहां चोट पहुंच रही है उसे भी नजरअंदाज नहीं कर सकते। राष्ट्रहित सबसे उपर था तभी संविधान का निर्माण हो पाया। इस संविधान दिवस को इसलिये भी मनाना चाहिये क्योंकि हमारा जो रास्ता है , वह सही है या नहीं है ? इसका सही मूल्यांकन हो सके।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संविधान दिवस के मौके पर आज संसद भवन के सेंट्रल हाल में विशिष्ट सभा को संबोधित करते हुये कही। इस दौरान पीएम मोदी ने संविधान के निर्माताओं को प्रणाम करने के साथ ही परिवारवाद की राजनीति पर तंज कसते हुये देश में लोकतंत्र को खतरा बताया। इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने सदन को प्रणाम कर जगह के महत्व का उल्लेख करते हुये कहा कि इसी पवित्र जगह पर महीनों तक भारत के एक्टिविस्टों ने देश के उज्जवल भविष्य के लिए व्यवस्थाओं को निर्धारित करने के लिये मंथन किया था और संविधान रुपी अमृत हमें प्राप्त हुआ। हमें संविधान दिवस इसलिए भी मनाना चाहिये , क्योंकि इससे यह तय होता है कि हमारा जो रास्ता है वह सही है या नहीं। यह दिवस इसका मूल्यांकन करने में हमारा सहायक है। उन्होंने कहा आज डॉ. अंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद , पूज्य बापू के साथ-साथ आजादी के लिये जिन्होंने अपने आपको खपाया , उन सबको नमन करने का दिन है। आज 26 नवंबर ऐसा दुखद दिन है। जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुम्बई में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया। भारत के संविधान में सूचित देश के सामान्य मानवीय की रक्षा की जिम्मेदारी के तहत हमारे वीर जवानों ने आतंकियों से लोहा लेते-लेते सर्वोच्च बलिदान दिया। आज उन बलिदानियों को भी आदर पूर्वक नमन करता हूं। पीएम मोदी ने आजादी की लड़ाई में महात्‍मा गांधी के संघर्ष को याद करते हुये कहा कि बापू ने देश के लोगों के मन में आजादी के सपने को जन्म दिया और आत्मनिर्भर बनने के साथ सफाई के महत्व को जन-जन तक पहुंचाया था। इसे वक्त के साथ बढ़ाना चाहिये था , लेकिन पूर्व की सरकारों में ऐसा नहीं हुआ। अच्छा होता देश आजाद होने के बाद कर्त्तव्य पर बल दिया गया होता तो अधिकारों की अपने आप रक्षा होती। परिवारवाद की राजनीति पर निशाना साधते हुये पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत एक ऐसे संकट के तरफ़ बढ़ रहा है , जो संविधान के प्रति समर्पित लोगों के लिये चिंता का विषय है। लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों के लिये चिंता का विषय है और वो हैं पारिवारिक पार्टियां। पीएम मोदी ने योग्यता के आधार पर परिवार के एक से अधिक लोगों के पार्टी में शामिल होने पर सहमति जतायी। लेकिन एक ही पार्टी में पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीति में शामिल हो रहे लोगों को परिवारवाद की राजनीति से प्रेरित कहा। उन्होंने कहा कि पारिवारिक पार्टियों का मतलब ये नहीं है कि एक परिवार से ज्यादा लोग राजनीति में ना आयें। पारिवारिक पार्टियों का मतलब पार्टी की कमान पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार के लोगों के हाथ में रहने से है। पीएम ने विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुये कहा कि यह कार्यक्रम किसी सरकार और किसी राजनैतिक दल का नहीं था। किसी प्रधानमंत्री का नहीं था। यह कार्यक्रम स्पीकर पद की गरिमा थी।  आजादी के इस अमृत महोत्सव में हमारे लिये यह आवश्यक है कि हम संविधान की गरिमा बनाये रखें , हम कर्त्तव्य पथ पर चलते रहें।इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में केंद्र और राज्‍यों की पिछली सरकारों पर भी जमकर निशाना साधा। गस कार्यक्रम को महामहिम राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , लोकसभा अध्यक्ष और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी संबोधित किया।गौरतलब है कि भारतीयों में संविधान के महत्व को बढ़ावा देने के लिये हर साल 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत वर्ष 2015 में की गई थी। केंद्र सरकार के फैसले को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को अधिसूचित किया था। इस वर्ष संविधान दिवस पर संसद भवन में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की। इस कार्यक्रम को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व लोकसभा स्पीकर ने भी संबोधित किया। वहीं कांग्रेस के अलावा वामपंथी दल , तृणमूल कांग्रेस , राजद , शिवसेना , एनसीपी , सपा , आईयूएमएल और द्रमुक समेत चौदह दलों ने आज संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित होने वाले संविधान दिवस समारोह का बहिष्कार किया। इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस और 14 विपक्षी दलों का संसद में संविधान दिवस समारोह का बहिष्कार करना भारत के संविधान का अनादर है। यह साबित करता है कि कांग्रेस केवल नेहरू परिवार के नेताओं का सम्मान कर सकती है जबकि बीआर अंबेडकर सहित कोई अन्य नेता का नहीं।

Ravi sharma

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