संसद हमले के शहीदों को आज दी गयी श्रद्धांजलि, अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट-नई दिल्ली-

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली — संसद भवन पर 2001 में हुये आतंकी हमले की अठारहवीं बरसी पर शहीदों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू व अन्य पक्ष विपक्ष के नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित कर आतंकवाद का पूरी दृढ़ता के साथ मुकाबला करने का संकल्प दोहराया गया। राज्यसभा में सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने संसद पर 13 दिसंबर 2001 को हुये आतंकी हमले का जिक्र करते हुये कहा कि उस दिन आतंकवादियों द्वारा की गयी अंधाधुंध गोलीबारी में नौ लोगों की जान चली गयी।

लोकतंत्र के मंदिर हमले का इतिहास

आज की तारीख में 13 दिसंबर 2001 को लोकतंत्र के मंदिर कही जाने वाली भारतीय संसद पर शीतकालीन सत्र में आतंकी हमला हुआ था। उस दिन जब संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था तब विपक्ष खूब हंगामा कर रहा था जिसकी वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी थी। तब अचानक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के देश की राजधानी और लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद भवन पर हमले से थर्रा उठा था। इस हमले का मास्टर माइंड था अफजल गुरु। इस हमले में सुरक्षाकर्मियों ने पाँच आतंकी मार गिराये वहीं 09 लोगों की जान चली गयी और कई घायल भी हो गये। हमले के बाद 15 दिसंबर 2001 को दिल्ली पुलिस ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य अफजल गुरु को जम्मू-कश्मीर से गिरफ्तार किया। वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज के एसएआर गिलानी के अलावा दो अन्य अफसान गुरु और उसके पति शौकत हुसैन गुरु को पकड़ा गया। मामले की सुनवाई कर रही ट्रायल कोर्ट ने 18 दिसंबर 2002 को अफजल गुरु, शौकत हसन और गिलानी को मौत की सजा देने का फरमान सुनाया और अफसान गुरु को बरी कर दिया गया। बाद में 29 अक्टूबर 2003 को गिलानी दिल्ली हाईकोर्ट से बरी हो गया। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंँचा और 04 अगस्त 2005 को शौकत हसन की सजा-ए मौत को बदलकर 10 साल सश्रम कारावास कर दिया। इसके बाद 03 फरवरी 2013 को महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अफजल गुरू की दया याचिका ठुकरा दी और संसद हमले के 12 साल बाद 09 फरवरी 2013 को दोषी अफजल गुरु को सूली पर चढ़ाया गया। इसके बाद अफजल गुरु का शव तिहाड़ में ही दफना दिया गया।

Ravi sharma

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