अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली — नागरिकता संशोधन बिल संसद से पास होने के बाद महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा गुरुवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पर हस्ताक्षर करते ही आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ साथ यह कानून लागू हो गया है। इस कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आये हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जायेगा बल्कि भारतीय नागरिकता दी जायेगी। गौरतलब है कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा द्वारा और सोमवार को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। कानून के मुताबिक इन छह समुदायों के शरणार्थियों को पांँच साल तक भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता दी जायेगी जिसकी समयसीमा पहले 11 साल की थी। इस कानून के मुताबिक ऐसे शरणार्थियों को गैर-कानून प्रवासी के रूप में पाये जाने पर लगाये गये मुकदमों से भी माफी दी जा सकेगी। कानून के अनुसार, यह असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा क्योंकि ये क्षेत्र संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं। इसके साथ ही यह कानून बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन, 1873 के तहत अधिसूचित इनर लाइन परमिट (आईएलपी) वाले इलाकों में भी लागू नहीं होगा। आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिज़ोरम में लागू है। कई राज्यों में नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में आगजनी की भी घटना सामने आयी है जहाँ कर्प्यू लगाया गया है।
मुस्लिम लीग ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा
इंडियन मुस्लिम लीग ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इनका कहना है कि इस विधेयक से संविधान में प्रदत्त समता के मौलिक अधिकार का हनन होता है और इसका मकसद धर्म के आधार पर एक तबके को अलग रखते हुये अवैध शरणार्थियों के एक वर्ग को नागरिकता प्रदान करना है। लीग ने पहले ही कहा था कि अगर ये विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो जाता है तो आईयूएमएल इसे कोर्ट में चुनौती देगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल मुस्लिम लीग की ओर से मामले की पैरवी करेंगे।
केन्द्र सरकार को मिला झटका
केन्द्र सरकार के लिये बड़ा झटका यह है कि तीन राज्य पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों ने नागरिकता संशोधन विधेयक को संविधान के खिलाफ बताते हुये इसे अपने-अपने राज्यों में लागू नहीं करने का ऐलान किया है।वहीं प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि अगर पार्टी से हरी झंडी मिली तो दूसरे राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी अतिशीघ्र कैब लागू ना करने का फैसला लिया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने किया स्वागत
राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल के पास होना का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वागत किया और इसे भारत के इतिहास में मील का पत्थर बताया था. पीएम मोदी ने ट्वीट किया है कि भारत और हमारे देश की करुणा और भाईचारे की भावना के लिये ये एक ऐतिहासिक दिन है।ख़ुश हूंँ कि सीएबी 2019 राज्यसभा में पास हो गया है। बिल के पक्ष में वोट देने वाले सभी सांसदों का आभार। ये बिल बहुत सारे लोगों को वर्षों से चली आ रही उनकी यातना से निजात दिलायेगा।”