श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से कल्याण सुनिश्चित है — देवकीनंदन,अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट- बेमेतरा-

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

बेमेतरा — इस संसार में बड़ा हो या छोटा , सड़क पर जिंदगी गुजारने वाला हो या महलों में सबकी निश्चित समय में मृत्यु अटल है। राजा सिकंदर अन्तिम समय में अपने माँ का दर्शन करने के लिये नीम हकीमों के सामने पूरा साम्राज्य देने की शर्त रख दी लेकिन उसकी अन्तिम इच्छा पूरा नही हुआ।
उक्त बातें विश्व शांति चैरिटेबल ट्रस्ट एवं राधाकृष्ण सत्संग समिति बेमेतरा के तत्वावधान में पूज्यश्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कृषि उपज मंडी प्रांगण बेमेतरा में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस कही। संसार को परिभाषित करते हुये महाराज श्री ने आगे कहा कि जिसमे कोई सार नहीं है , वही संसार है।आपकी आत्मा पर असर ईश्वर का है, आपके मन पर असर माया का है। और इसी माया के चक्कर में हम अपना सब कुछ गँवा देते हैं। राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से प्रश्न किया कि हे गुरुदेव जो व्यक्ति सातवें दिन मरने वाला हो उस व्यक्ति को क्या करना चाहिये ? तब शुकदेव जी ने मुस्कुराते हुये परीक्षित से कहा कि हे राजन ! ये प्रश्न केवल आपके कल्याण का ही नहीं अपितु संसार के कल्याण का प्रश्न है। जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन है उसको श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिये जिससे उसका कल्याण निश्चित है। राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से प्रार्थना करते हुये कहा हे गुरुवर ! आप ही मुझे श्रीमद्भागवत का ज्ञान प्रदान करे और मेरे कल्याण का मार्ग प्रशस्त करे। तब शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत की कथा सुनायी। मनुष्य को जन्म देने से पहले भगवान कहते हैं ऐसा कर्म करना जिससे दोबारा जन्म ना लेना पड़े। मानव मुट्ठी बंद करके यह संकल्प दोहराते हुये इस पृथ्वी पर जन्म लेता है। प्रभु भागवत कथा के माध्यम से मानव का यह संकल्प याद दिलाते रहते हैं। इस संसार में जन्म-मरण से मुक्ति भगवान की कथा ही दिला सकती है। भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण ही आज पृथ्वी के लोगो को श्रीमद्भागवत कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। समाज द्वारा बनाये गये नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं। तृतीय दिवस की कथा में बेमेतरा जिला न्यायाधीश अविनाश त्रिपाठी विशेष रुप से उपस्थित रहे।

Ravi sharma

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