अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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कवर्धा — शिक्षक दिवस के अवसर पर छात्रा श्रुति श्रीवास्तव का वीडियो सन्देश सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। दरअसल कोरोना के चलते अभी शालायें बंद हैं जिसके कारण निजी विद्यालयों के शिक्षकों को वेतन के लाले पड़ गये हैं। उनके इस संकट को समझते हुये अभ्युदय स्कूल कवर्धा की कक्षा बारहवीं में अध्ययनरत छात्रा श्रुति श्रीवास्तव आत्मजा अवधेशनंदन श्रीवास्तव ने यहांँ तक कह दिया कि शिक्षक दिवस मनाने की सार्थकता तभी सिद्ध होगी जब विद्यालय प्रबंधन और पालक मिलकर शीघ्र ही शिक्षकों के वेतन की व्यवस्था करे। शिक्षकों के हित में आवाज बुलंद करने पर श्रुति श्रीवास्तव की सर्वत्र सराहना हो रही है। श्रुति स्वयं बहुमुखी प्रतिभा की धनी है। वे कथक नृत्य में विद की उपाधि प्राप्त कर चुकी हैं तथा कुशल चित्रकार एवम कुशल फोटोग्राफर भी है। उसने हाल ही में अपनी सहेलियों के साथ मिलकर “दक्षता” समाजसेवी संगठन की स्थापना की है जिसके अंतर्गत पिछले दिनों दक्षता के सदस्यों ने निर्धनों और घुमन्तु बच्चों को मास्क वितरित किये एवम कोरोना महामारी से बचने के उपाय बताने के साथ ही वृद्धाश्रम में जाकर बुजुर्गों को उनकी जरूरत के सामान वितरित किये।
श्रुति श्रीवास्तव के शब्दों में -जैसा कि हम सबको यह मालूम ही है कि हर वर्ष हम 05 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मदिन को शिक्षक दिवसके रूप में मनाते हैं। इसलिये नहीं कि वे देश के प्रथम उपराष्ट्रपति थे और बाद में वे राष्ट्रपति भी बने , बल्कि इसलिये कि वे मूलतः एक शिक्षक थे जो एक शिक्षक होते हुये देश के सर्वोच्च पद तक पहुंँच गये। हम उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें इसलिये उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं।
वे शिक्षक ही होते हैं जो एक अबोध बच्चे को पढा लिखाकर एक सभ्य और सुशिक्षित मनुष्य बनाते हैं। जैसे गीली मिट्टी कुम्हार के हाथों पड़ते ही सुन्दर मूर्ति बन पूजनीय हो जाती है वैसे ही शिक्षक से विद्या और कला प्राप्त कर एक साधारण विद्यार्थी समाज और राष्ट्र के लिये वरदान बन जाता है। आज कोरोना महामारी के इस संकटपूर्ण समय में भी जहांँ स्कूलें बंद हैं, हमारे शिक्षक दिन रात मेहनत कर वर्चुअल क्लास के माध्यम से हमें पढ़ा रहे हैं क्योंकि उन्हें हमारे भविष्य की चिंता है। नि:स्वार्थ भाव से अपने विद्यार्थियों के लिये सोचने और कर के दिखाने वाले शिक्षक ही होते हैं जिनके त्याग और परिश्रम का मोल हम कभी नहीं चुका सकते। लेकिन ऐसे आदरणीय शिक्षकों के वेतन की व्यवस्था विद्यालय प्रबंधन और समस्त पालकों को मिलकर तत्काल करनी चाहिये ताकि उन्हें किसी आर्थिक संकट का सामना ना करना पड़े। इस वर्ष शिक्षक दिवस मनाने की सार्थकता तभी सिद्ध होगी जब हमारे आदरणीय शिक्षकों को उनका वेतन शीघ्र मिल जाये। हमारे जीवन में शिक्षकों के इस महत्वपूर्ण योगदान के लिये हमें हमेशा उनका आदर एवं सम्मान करना चाहिये। एक बार फिर मैं सभी शिक्षकों का आभार व्यक्त करते हुये शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें देती हूंँ।