यूएन ने गांजे को ड्रग्स लिस्ट से हटाने का किया फैसला-न्यूयॉर्क

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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न्यूयॉर्क — संयुक्त राष्ट्र के नारकोटिक ड्रग कमीशन ने गांजे को मादक पदार्थों की लिस्ट से हटाने का फैसला लिया है, जिस पर भारत ने भी अपनी सहमति जतायी है। भारत के अलावा 27 से ज्यादा देशों ने इस पक्ष में अपना वोट दिया है। संयुक्त राष्ट्र के इस फैसले से गांजे के चिकित्सकीय गुणों पर वाले वाले शोध में आसानी होगी। हालांकि संयुक्त राष्ट्र की कानून के अनुसार अब गांजा को गैर मेडिकल इस्तेमाल के तौर पर एक प्रतिबंधित ड्रग ही माना जायेगा। डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों की सिफारिश के बाद ही उनके विकल्पों पर चर्चा की गयी थी। गांजा को प्रतिबंधित मादक पदार्थों की लिस्ट से निकाले जाने के लिये संयुक्त राष्ट्र ने मतदान भी कराया था। इस मतदान में भारत , अमेरिका और कई यूरोपियन सहित 27 देशों ने गांजा को लिस्ट से हटाये जाने के पक्ष में वोट दिये जबकि चीन , रूस , पाकिस्तान जैसे 25 देशों ने गांजे पर प्रतिबंध में ढील दिये जाने के प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया। इसके औषधीय गुणों को देखते हुये लंबे समय से इन पर पाबंदियों में ढील देने की माँग हो रही थी। वर्ष 1961 के अधिवेशन में गांजे को हेरोइन की तरह शेड्यूल चार के तहत मादक पदार्थों में शामिल किया गया था लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश के बाद गांजे का पुनःवर्गीकरण और सबसे खतरनाक मादक पदार्थों की सूची में से हटाने का फैसला लिया गया है। भले ही भारत ने इसके पक्ष में वोट किया हो लेकिन इसके घरेलू कानून इसके प्रति सख्त ही रहेंगे। वोटिंग के बाद संयुक्त राष्ट्र में एक बयान में कहा कि 1961 के सिंगल कन्वेंशन ऑन नार्कोटिक ड्रग्स के चौथे शेड्यूल में से कैनबिस को हटाने का निर्णय लिया गया है। इस लिस्ट में कैनबिस को बेहद खतरनाक और लत लगाने वाली ड्रग्स जैसे हेरोइन के साथ सूची में शामिल किया गया था। पिछले 59 सालों से कैनबिस पर सबसे कड़ी पाबंदियांँ लगी रहीं, इस वजह से इसका इस्तेमाल मेडिकल जरूरतों के लिये भी बेहद कम किया जाता रहा।हालांकि भारत के इसके पक्ष में वोट करने से सवाल पैदा होता है क्योंकि इस गैरकानूनी ड्रग के इस्तेमाल पर एनसीबी लगातार बॉलीवुड स्टार पर शिकंजा कस रही है और मुम्बई में कई जगहों पर छापेमारी भी चालू है। सरकार की तरफ से पक्ष में वोट करने पर ना ही किसी तरह का कोई बयान आया है और ना ही किसी तरह की व्याख्या की गई है। सूत्रों का कहना है कि भारत के इस फैसले को विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश और मेडिकल इस्तेमाल के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा कुछ देश गांजे को आपराधिक श्रेणी से भी हटाने की प्रस्ताव लाये हैं। भारत में फिलहाल एनडीपीएस एक्ट के तहत कैनबिस (गांजा) को रखना , बेचना या उपयोग खरना दंडनीय अपराध है। अब संयुक्त राष्ट्र के इस फैसले के बाद भारत गांजे पर क्या रूख अपनाता है ? यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।

Ravi sharma

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