अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली — संसद के मॉनसून सत्र (19 जुलाई से 13 अगस्त) से पहले आज केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलायी थी। इस बैठक में 33 दलों के 40 से अधिक नेताओं ने भाग लिया। बैठक को संबोधित करते हुये पीएम मोदी ने कहा कि विपक्ष के लोगों सहित सभी प्रतिनिधियों के सुझाव बहुत मूल्यवान हैं , सरकार सभी मुद्दों पर बहस और चर्चा करने को तैयार है। बैठक में उप लोकसभा नेता राजनाथ सिंह , संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी , अर्जुन राम मेघवाल , वी मुरलीधरन और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल शामिल हुये। मानसून सत्र से पहले बुलाई गई बैठक में कांग्रेस की तरफ से अधीर रंजन चौधरी और मल्लिकार्जुन खड़गे , तृणमूल कांग्रेस से डेरेक ओ ब्रायन और सुदीप बंदोपाध्याय , डीएमके से तिरुचि शिवा और टीआर बालू , वाईएसआर कांग्रेस से मिथुन रेड्डी और विजय साई रेड्डी , बसपा से रितेश पांडे और सतीश मिश्रा , समाजवादी पार्टी से रामगोपाल यादव , अपना दल से अनुप्रिया पटेल , अकाली दल से हरसिमरत कौर बादल , शिवसेना की ओर से संजय राउत एवं बीजद से पिनाकी मिश्रा और प्रसन्ना आचार्य मौजूद रहे। बैठक में विपक्षी दलों ने कृषि बिलों , कीमतों में वृद्धि विशेष रूप से पेट्रोल और डीजल जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया। विपक्षी दलों ने यह भी मांग की कि सरकार एनईईटी में ओबीसी के लिये आरक्षण लाये। सरकार ने सदन के नेताओं को यह भी सूचित किया कि उन्होंने पांच अध्यादेशों सहित कई विधेयकों को सूचीबद्ध किया है और अन्य विधेयकों की कुल संख्या 29 है। विपक्षों ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुये सवाल किया कि अगर विधेयकों को पास कराने में इतना समय दिया जायेगा तो फिर उन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा कब की जायेगी , जिससे आम आदमी त्रस्त हैं। इस पर प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों से कहा कि सभी सुझावों पर विचार किया जायेगा और सरकार सभी मुद्दों पर बहस और चर्चा करने को तैयार है। पीएम मोदी ने सभी से सदन के सुचारू संचालन की अनुमति देने और व्यवधानों से बचने की भी अपील की। इस बीच पंजाब की पार्टियों ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की। हरसिमरत बादल ने सोमवार के लिये स्थगन प्रस्ताव पेश किया है जिसका सभी विपक्षी दलों ने समर्थन किया है।