महामहिम राष्ट्रपति कल करेंगी उत्कर्ष और उन्मेष कार्यक्रम का शुभारंभ

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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भोपाल – एशिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव का तीन दिवसीय आयोजन कल से होने जा रहा है। महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु कल राजधानी भोपाल में लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों के राष्ट्रीय उत्सव ‘उत्कर्ष और उन्मेष’ कार्यक्रम का शुभारम्भ करेंगी। तीन दिवसीय इस उत्सव में 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 800 कलाकार भाग लेंगे। राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे।आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित हो रहे कार्यक्रम को साहित्य अकादमी नई दिल्ली , संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और संस्कृति विभाग मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। इसमें साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा उन्मेष कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव: उन्मेष जो कि अभिव्यक्ति का उत्सव है। इसमें 75 से अधिक कार्यक्रमों में लगभग 100 भाषाओं के 575 से अधिक लेखक भाग लेंगे। इसके अलावा 13 अन्य देशों के लेखक भी उत्सव में शामिल होंगे। वहीं संगीत नाटक अकादमी द्वारा उत्कर्ष शीर्षक से लोक एवं जनजातीय प्रदर्शन कलाओं का राष्ट्रीय उत्सव आयोजित किया जायेगा। इस उत्कर्ष उत्सव में देश के 36 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के लगभग 800 कलाकार भाग लेंगे और लोक एवं जनजातीय प्रदर्शन कलाओं की सतरंगी छटा बिखेरेंगे। उत्सव का प्रसारण संगीत नाटक अकादमी के फेसबुक और यूट्यूब चैनल सहित संस्कृति विभाग के फेसबुक और यूट्यूब चैनल पर किया जायेगा। पिछले साल यह आयोजन शिमला में आयोजित किया गया था , जबकि इस बार मध्यप्रदेश को मौका मिला है। इस उत्कर्ष उत्सव में शाम पांच बजे से रवीन्द्र भवन के सभागार में देश के विभिन्न राज्यों के लोक-नृत्य और जनजातीय नृत्यों की प्रस्तुति दी जायेगी। इस आयोजन में देश के राज्यों से 36 जनजातीय दल बुलाये गये हैं। हर दल में बारह – बारह दल लोक लोक नृत्य की प्रस्तुतियां देंगे। उत्सव के पहले दिन कल गुरुवार को लेह एवं लद्दाख का जबरो नृत्य , नागालैंड का सुमी वार , गोवा का समय , सिक्किम का सिंधी छम , मध्यप्रदेश का राई एवं नरेरी , मेघालय का बांग्ला , महाराष्ट्र का लावणी , असम का बीहू , ओडिसा का सिंगारी , झारखंड का पाईका और आंध्रप्रदेश के टप्पेटा गुल्लू नृत्य की प्रस्तुति दी जायेगी। उत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश का आजी लामू नृत्य , हिमाचल प्रदेश का सिरमौरी नाटी, छत्तीसगढ़ का पंथी , राजस्थान का कालबेलिया , असम का तिवा , हरियाणा का फाग , उत्तरप्रदेश का मयूर रास , झारखंड का नागपुरी झूमुर , मणिपुर का ढोल चोलम एवं थांग टा , तमिलनाडु का करगट्टम , पश्चिम बंगाल का नटुवा , कर्नाटक का पूजा कुनिथा और गुजरात का मणीयारो रास नृत्य की प्रस्तुति दी जायेगी। वहीं उत्सव के अंतिम दिन पांच अगस्त को कश्मीर का रौफ नृत्य , सिक्किम का सोराठी , बिहार का झिझिया , त्रिपुरा का होजागिरी , छत्तीसगढ़ का गौड़ मारिया , केरला का पुलकली , उत्तराखंड का छपेली , ओडिशा का गोटीपुआ , पंजाब का भांगड़ा , पश्चिम बंगाल का पुरुलिया छऊ , तेलंगाना का ओग्गू डोलू और मध्यप्रदेश के गुदुम बाजा नृत्य की प्रस्तुति दी जायेगी। साहित्य अकादमी भारत सरकार के सचिव डा०के० श्रीनिवास राव ने बताया कि उन्मेष उत्सव एशिया का सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मेलन है। इसमें बहुभाषी कविता पाठ , लेखन पाठ , आदिवासी कवि सम्मेलन , साहित्य के विषयों पर परिचर्चा , आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता पाठ और साहित्य के उत्थान संबंधी विभिन्न विषय पर प्रबुद्धजन द्वारा विमर्श किया जायेगा। साथ ही “पुस्तक मेला” में साहित्य अकादमी और अन्य प्रकाशकों की पुस्तकें बिक्री के लिये सुबह दस बजे से शाम छह बजे तक उपलब्ध रहेंगी। उत्सव के दौरान साहित्य अकादमी द्वारा प्रख्यात लेखकों पर बनी डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई जायेगी।

Ravi sharma

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