अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
मुम्बई — भारतीय सिनेमा के दिग्गज संगीतकार खय्याम (92 वर्ष) का आज निधन हो गया। उनका पूरा नाम मोहम्मद जहूर खय्याम आशमी था लेकिन फिल्म जगत में उन्हें खय्याम के नाम से प्रसिद्धि मिली । वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और मुंबई के एक अस्पताल में उनका ईलाज चल रहा था। आज शाम से ही उनकी हालत नाजुक बतायी जा रही थी। डॉक्टर की एक टीम उनकी निगरानी कर रही थी। मशहूर संगीतकार के निधन से फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गयी। बॉलीवुड के दिग्गज कलाकारों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। ‘कभी कभी’ और ‘उमराव जान’ जैसी फिल्मों के लिये फिल्मफेयर अवॉर्ड पा चुके ख़य्याम ने अपने कैरियर की शुरुआत 1947 में की थी। ‘वो सुबह कभी तो आयेगी’, ‘जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आंखें मुझमें’, ‘बुझा दिये हैं खुद अपने हाथों, ‘ठहरिये होश में आ लूं’, ‘तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो’, ‘शामे गम की कसम’, ‘बहारों मेरा जीवन भी संवारो’ जैसे अनेकों गीत में खय्याम अपने संगीत से चार चाँद लगा चुके हैं। ख़य्याम ने पहली बार फिल्म ‘हीर रांझा’ में संगीत दिया लेकिन मोहम्मद रफ़ी के गीत ‘अकेले में वह घबराते तो होंगे’ से उन्हें पहचान मिली. फिल्म ‘शोला और शबनम’ ने उन्हें संगीतकार के रूप में स्थापित कर दिया। ख़य्याम की पत्नी जगजीत कौर भी अच्छी गायिका हैं और उन्होंने ख़य्याम के साथ ‘बाज़ार’, ‘शगुन’ और ‘उमराव जान’ में काम भी किया है।