अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली — कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्राँस के साथ यूएई और बहरीन की यात्रा पर भी जा रहे हैं। मौजूदा कूटनीतिक परिदृश्य में उनकी इस यात्रा को अहम माना जा रहा है।फ्राँस भारत के प्रमुख रणनीतिक सहयोगी के तौर पर उभरा है। फ्राँस ने कश्मीर के मुद्दे पर भी भारत का मुखर समर्थन किया है। वहीं इस्लामिक देशों में यूएई ऐसा देश है जिसने अनुच्छेद 370 हटाने को भारत का अंदरूनी मामला मानते हुये इसका स्वागत किया था।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी 22 से 26 अगस्त के बीच फ्राँस , यूएई और बहरीन तीनों देशों की यात्रा पर जायेंगे। माना जा रहा है कि उनकी इस यात्रा में कश्मीर में पाकिस्तान की अनवाश्यक दखलंदाजी, आतंकवाद सहित तमाम कूटनीतिक मसलों पर चर्चा होगी। मोदी यूएई व बहरीन की यात्रा पर द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाई देंगे। भारत और फ्राँस दोनों देशों के बीच रक्षा, नौवहन क्षेत्र, अंतरिक्ष सहयोग, सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा होगी। फ्राँस के साथ जैतापुर परमाणु संयंत्र परियोजना को आगे बढ़ाने पर भी चर्चा होगी।
प्रधानमंत्री 23 से संयुक्त अरब, बहरीन दौरे पर
प्रधानमंत्री 23 से 25 अगस्त तक संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और बहरीन की यात्रा पर रहेंगे । यूएई और बहरीन की यात्रा पूरी करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 अगस्त को फिर फ्राँस जायेंगे जहाँ वे रात्रिभोज में भी हिस्सा लेंगे। वे शिखर सम्मेलन में असमानता से मुकाबला विषय पर विचार रखेंगे। प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा इस मायने में भी खास है क्योंकि इस दौरान वह यूएई का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘आर्डर ऑफ जायद’ ग्रहण करेंगे।