बिहार का एक मनोरम एवं तिरुपति बालाजी मंदिर है – नौलखा मन्दिर

सोनपुर — विश्व विख्यात हरिहर क्षेत्र सोनपुर के प्रसिद्ध श्री गजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम् नौलखा मन्दिर एक भव्य कलात्मक मन्दिर है जिनकी सुन्दरता देखने लायक है। इस मंदिर की नक्काशी में भारतीय संस्कृति, कला व सौंदर्य का अनूठा संगम है, जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। सोनपुर का यह देवस्थानम् भगवान विष्णु को समर्पित एक विशाल मंदिर है। दक्षिण भारतीय वास्तुकला से द्रविड़ शैली के शिल्पकारों द्वारा निर्मित मन्दिर की शोभा देखते हीं श्रद्धालुओं का मन हर्षित हो जाता है। मन्दिर का मुख्य द्वार जिसे गोपुरम कहा जाता है।साठ फीट ऊंचा गोपुरम के शीर्ष पर पांच पीतल कलश शोभायमान हो रहे हैं।

मन्दिर में प्रवेश करते हीं श्री गरूड़ जी महाराज भगवान के सोलह फीट करबद्ध विग्रह पर से श्रद्धालु भक्तों की बहुत बहुत देर बाद नजर हटा करते हैं। मन्दिर में तीन गर्भ हैं ।बीच वाले गर्भ गृह में श्री गजेन्द्र मोक्ष भगवान, श्री बालाजी वेङ्कटेश, श्री श्रीदेवी, श्री भूदेवी, श्री चक्रसुदर्शन और ठाकुर श्री विराजमान हैं।बायीं ओर वाले गर्भ गृह में श्री महालक्ष्मी और दायीं ओर वाले गर्भगृह में भगवान श्री रामानुजाचार्य स्वामी जी का दर्शन प्राप्त होता है। मन्दिर के गर्भ गृह के ऊपर द्रविड़ शैली में बना विमान शोभा देता है।

श्री गजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम् पीठाधिपति जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज मन्दिर के सम्बन्ध में बड़ी हीं रोचक बातें बताते हैं। सन् 1942 ई में परमश्रेष्ठ गुरु महाराज विश्व वन्दनीय जगदाचार्य जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी विष्वकसेनाचार्य श्री श्री त्रिदण्डी स्वामी जी को हरिहरनाथ भगवान ने साधुवेशधारी रूप में दर्शन देते हुए इस क्षेत्र में श्री गजेन्द्रमोक्ष भगवान का मन्दिर बनवाए जाने के लिए प्रेरित किया। आगे श्री स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज ने बताया कि ठाकुर अमरेन्द्र नारायण सिंह से 1991 में दस कट्ठा जमीन प्राप्त हुआ और वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया 1993 को श्रद्धालुओं के सहयोग, श्री श्री त्रिदण्डी स्वामी की कृपा और आचार्यों के वेदध्वनि से श्री गजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम् का शुभारंभ शिलान्यास किया गया। इस प्रकार भव्य मंदिर विशाल गोपुरम के साथ तैयार हो जाने पर भगवान श्री गजेन्द्र मोक्ष को 31 जनवरी 1999 श्री श्री त्रिदण्डी स्वामी जी महाराज के करकमलों द्वारा प्रतिष्ठित किया गया।


श्री स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज ने आगे बताया कि प्रत्येक वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक श्री लक्ष्मी नारायण यज्ञ एवं माघ शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है। पूजा पाठ द्रविड़ पद्धति से किया जाता है। वर्ष भर नौ बजे सुबह श्रृंगार- आरती,बारह बजे राजभोग, संध्या पांच बजे (शीतकालीन), संध्या साढ़े पांच बजे की बड़ी आरती,नौ बजे रात को महाप्रसाद भोग और अगले सुबह पांच बजे मंगला आरती से श्रद्धालु भक्तों को दर्शन के लिए मन्दिर सजा संवरा रहता है। मन्दिर प्रबंधक नन्द कुमार राॅय (नन्द बाबा)ने कहा कि यह मन्दिर दिव्य देश कहलाता है। उन्होंने बताया कि देवस्थानम् के प्रवेश द्वार गोपुरम् में प्रवेश करते हीं सामने श्री गरूड़ भगवान करबद्ध श्रद्धालुओं को आकर्षित कर आनन्द की अनुभूति कराते हैं। नन्द बाबा ने बताया कि यह बिहार का तिरुपति मंदिर है जहां भगवान श्री गजेन्द्र मोक्ष, श्री बालाजी वेङ्कटेश, श्री श्रीदेवी, श्री भूदेवी , श्रीमहालक्ष्मी और श्रीआल्वार भक्तों को दर्शन देते हैं। मन्दिर मीडिया प्रभारी समाजसेवी लाल बाबू पटेल ने बताया कि सालों भर दिव्य देश में मंगल उत्सव मनाया जाता है और श्रद्धालु दर्शनार्थियों के लिए प्रसाद की‌ व्यवस्था मन्दिर प्रबंधन द्वारा कराया जाता है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार दोपहर में श्री राधा रानी का प्राकट्य दिवस मनाया गया और भगवान श्री गजेन्द्र मोक्ष, श्री महालक्ष्मी को क्षीरान्न भोग लगाकर श्रद्धालुओं को वितरित किया गया।

Ravi sharma

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