अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली- गणतंत्र दिवस में इस बार प्लास्टिक के झंडे के प्रयोग पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने प्रतिबंध लगाते हुये एडवाइजरी जारी किया है। जारी एडवाइजरी में उन्होंने कहा कि कागज व कपड़ो के बने झंडों का इस्तेमाल करे। इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकार व जिला प्रशासन को निर्देश जारी करते हुये कहा है कि कपड़ों व कागज से बने झंडों के इस्तेमाल के बारे में समाज में जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने और ध्वज की गरिमा बनाये रखने के लिये निजी रूप से उन्हें डिस्पोज के लिये प्रेरित करने को कहा है। एडवाइजरी में खासतौर पर आम जानता से अपील की गई है कि वे प्लास्टिक से बने झंडे का प्रयोग ना करें। साथ ही सरकार व प्रशासन को फ्लैग कोड ऑफ इंडिया का सम्मान करते हुये उसके नियमों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को प्रेरित करने का निर्देश भी दिया गया है। महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल आयोजनों के अवसरों पर कागज के झंडे के स्थान पर प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय झंडे का इस्तेमाल किया जा रहा है। चूकि प्लास्टिक से बने झंडे बायोडिग्रेडेबल नहीं होते हैं, इसलिये ये लंबे समय तक खत्म नहीं होते हैं। वहीं प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज को गरिमा के साथ डिस्पोज करना एक समस्या है। गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस। इन सभी मौके पर प्लास्टिक के झंडे काफी मात्रा में प्रयोग किये जाते है। यहां तक की प्रयोग के बाद उसे सड़कों पर भी फेंक दिया जाता हैं। जिससे एक ओर तिरंगे का भी अपमान होता है तो वहीं दूसरी ओर प्लास्टिक से बने झंडे के बायोडिग्रेडेबल नहीं होने के कारण डिस्पोज नहीं किया जा पाता है। जिससे पर्यावरण को भी नुकसान होता है। भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के प्रावधानों के तहत जनता द्वारा केवल कागज के झंडे का उपयोग किया जाए और झंडे को जमीन पर फेंका ना जाये। साथ ही द प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 की धारा 02 के अनुसार जो कोई भी सार्वजनिक स्थान पर तिरंगे का अपमान करता पाया गया तो उसे 03 साल तक के लिये जेल और भारी जुर्माना भी लग सकता है। इस संबंध में गृह मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि तिरंगे का अपमान किया तो कार्रवाई भी तय है , इसलिये सभी इसका सम्मान करें।