पेट्रोलियम मंत्रालय ने भारत में रूसी कच्चे तेल के आयात निर्यात पर सी आर ई ए की रिपोर्ट को किया खारिज

नई दिल्ली — पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने बुधवार को सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) की भारत कि रुस से सस्ती कीमत पर कच्चे तेल की खरीदी संबंधित रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। इस रिपोर्ट के माध्यम से आरोप लगाया गया है कि भारत उन 5 देशों में शामिल है जिन्होंने रूस से कच्चे तेल का आयात किया और उसे रिफाइन करके यूरोपियन यूनियन और कुछ जी-7 देशों को निर्यात कर दिया। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर के माध्यम से कहा कि सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर की रिपोर्ट विश्व मे चौथे सबसे बड़े तेलशोधक देश भारत कि छवि को धूमिल करने का एक भ्रामक प्रयास है। यह वैश्विक स्तर पर आपूर्ति मांग कि गतिशीलता और एक प्रमुख रिफाइंड प्रोडक्ट के निर्यातक के तौर पर भारत के लंबे इतिहास की समझ कि कमी को दर्शाता है। दरअसल हेलसिंकी स्थित सीआरईए ने एक मई को एक रिपोर्ट में कहा कि भारत,चीन सहित शीर्ष उन पांच देशों में शामिल है जो सस्ते रुसी कच्चे तेल कि खरीदी कर रहा है और इसे रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों में परिवर्तित कर यूरोप और जी-7 देशों में निर्यात कर रहा है। इसका जवाब देते हुए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने कहा कि एक संप्रभु देश के रूप में भारत अंतर्राष्ट्रीय कानून की शर्तों के तहत वस्तुओं का आयात या निर्यात करने के लिए स्वतंत्र है।और उसके वैध कारोबार को लान्ड्रोमैट अर्थात धुलाई कि मशीन कहने का तात्पर्य एक अवैध गतिविधी से है।जिस पर भारत कड़ी आपत्ति जताता है। मंत्रालय ने कहा कि रूस या अन्य स्थानों से 60 डालर प्रति बैरल से कम कच्चे तेल का आयात किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के तहत नहीं आता है। दुनिया भर में रिफाइनर से डीजल खरीदने पर गठबंधन देश द्वारा कोई आत्म प्रतिबंध भी नहीं लगाया है। व्हाइटवाश्ड आयल जैसे शब्द का उपयोग करना कपट पूर्ण शरारत को दर्शाता है। मंत्रालय ने कहा कि भारत आयात के माध्यम से रूस सहित कई देशों से अपनी उर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करता है जो जगजाहिर है और ना ही इसे लेकर भारत को कोई खेद है जैसा कि विगत वर्ष के कई मंत्री स्तरीय बयान स्पष्ट करते हैं।

Ravi sharma

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