पानी पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण — पीएम मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली — नये कृषि कानूनों के खिलाफ लम्बे समय से चल रहे किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मासिक रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” के जरिये देशवासियों को पानी के महत्व से लेकर कोरोना , आत्मनिर्भर भारत , परीक्षार्थियों को संदेश इत्यादि विषयों पर संबोधित किया। इसके लिये उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर लोगों से अलग-अलग विषयों पर विचार और सुझाव मांगे थे। पीएम ने साल के दूसरे ‘मन की बात’ में पानी के महत्व पर जोर देते हुये कहा कि कल माघ पूर्णिमा का पर्व था,  माघ का महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्त्रोतों से जुड़ा हुआ माना जाता है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है, “माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति अर्थात, माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है। दुनियां के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-ना-कोई परम्परा होती ही है। नदी तट पर अनेक सभ्यतायें भी विकसित हुई हैं , हमारी संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है, इसलिये इसका विस्तार हमारे यहां और ज्यादा मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-ना-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव ना हो। माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार , सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं। इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है. जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है। पीएम मोदी ने कहा कि पानी एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है वैसे ही पानी का स्पर्श , जीवन के लिये जरुरी है, विकास के लिये जरुरी है। पानी के संरक्षण की अपील करते हुये उन्होंने कहा कि वर्षा ऋतु आने से पहले ही हमें जल संरक्षण के लिये प्रयास शुरू कर देने चाहिये। उन्होंने बताया कि अब से कुछ दिन बाद ज​ल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल शक्ति अभियान ‘कैच द रेन’ शुरू किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि आत्मनिर्भर भारत की पहली शर्त होती है। अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के लोगों द्वारा बनायी वस्तुओं पर गर्व होना। जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है , प्रत्येक देशवासी जुड़ता है तो आत्मनिर्भर भारत सिर्फ एक आर्थिक अभियान ना रहकर एक राष्ट्रीय भावना बन जाता है। उन्होंने कहा कि आसमान में हम अपने देश में बने लड़ाकू विमान तेजस को कलाबाजिंयां खाते देखते हैं, तब भारत में बने टैंक, मिसाइलें हमारा गौरव बढ़ाते हैं। जब हम दर्जनों देशों तक मेड इन इंडिया वैक्सीन को पहुंचाते हुये देखते हैं तो हमारा मस्तक और ऊंचा हो जाता है। उन्होंने संत रविदास का जिक्र करते हुये कहा कि जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती और ये नाम है संत रविदास।आज भी संत रविदास जी के शब्द, उनका ज्ञान, हमारा पथप्रदर्शन करता है। उन्होंने कहा था हम सभी एक ही मिट्टी के बर्तन हैं , हम सभी को एक ने ही गढ़ा है। ये मेरा सौभाग्य है कि मैं संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी से जुड़ा हुआ हूं , संत रविदास जी के जीवन की आध्यात्मिक ऊंचाई को और उनकी ऊर्जा को मैंने उस तीर्थ स्थल में अनुभव किया है। हमारे युवाओं को एक और बात संत रविदास जी से जरुर सीखनी चाहिये। युवाओं को कोई भी काम करने के लिये खुद को पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिये। आप अपने जीवन को खुद ही तय करिये। मैं ऐसा इसलिए कहता हूं क्योंकि कई बार हमारे युवा एक चली आ रही सोच के दबाव में वो काम नहीं कर पाते जो करना वाकई उन्हें पसंद होता है।  इसलिए आपको कभी भी नया सोचने , नया करने में संकोच नहीं करना चाहिये। अपने तौर तरीके भी खुद बनाईये और अपने लक्ष्य भी खुद ही तय करिये। अगर आपकी बुद्धि, आपका आत्मविश्वास मजबूत है तो आपको संसार के किसी भी चीज से डरने की जरुरत नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहीं छात्राओं और छात्रों को संदेश देते हुये कहा कि हंसते हुये परीक्षा देने जाना है और मुस्कुराते हुये लौटना है , किसी और से नहीं बल्कि अपने आप से ही स्पर्धा करनी है।उन्होंने कहा कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम ‘परीक्षा पे चर्चा’ करेंगे। मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी एग्जाम वॉरियर्स से, अभिभावकों से, और शिक्षकों से अनुरोध है कि अपने अनुभव, अपने टिप्स ज़रूर शेयर करें। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में लोगों से सावधानी बरतने को कहा कि किसी तरह की लापरवाही कतई ना बरतें। आप सब स्वस्थ रहेंगे, खुश रहेंगे, कर्त्तव्य पथ पर डटे रहेंगे, तो देश तेजी से आगे बढ़ता रहेगा. आप सभी को त्योहारों की अग्रिम शुभकामनायें, साथ-साथ कोरोना के सम्बन्ध में जो भी नियमों का पालन करना उसमें कोई ढिलाई नहीं आनी चाहिये।

Ravi sharma

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