पं० देवीप्रसाद शुक्ला ने दी जन्माष्टमी की शुभकामनायें-जाँजगीर चाँपा

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
———————————–

जाँजगीर चाँपा — श्रीकृष्णजन्माष्टमी के पावन पर्व पर वेदव्रत आचार्य , भागवत प्रवक्ता एवं देवी उपासक पं० देवीप्रसाद शुक्ला ने सभी शिष्यों एवं जनताओं को शुभकामनायें देते हुये कहा है कि हमारे धर्मशास्त्रों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को दो प्रकार से माना गया है जिसमें पहली जन्माष्टमी और दूसरी जयन्ती है। प्रथम केवल अष्टमी वह है जो अर्द्धरात्रि में प्राप्त होती हैं दूसरी वह है जिसमें अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र दोनों का संयोग मिलता है और इस प्रकार के अष्टमी को जयन्ती योग वाली अष्टमी कहते है इस वर्ष कल 11अगस्त को अर्द्धरात्रि में अष्टमी तिथी तो मिल रही हैं किन्तु रोहिणी नहीं मिलेगी तथा दूसरे दिन 12 अगस्त को भी अर्द्धरात्रि में रोहिणी का संयोग नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में शास्त्र कहता है कि – “दिवा वा यदि वा रात्रौ नास्ति चेद्रोहिणी कला। रात्रियुक्तां प्रफुर्वोत विशेषेणेन्दु संयुताम।।” अर्थात यदि दिन या रात में कला मात्र रोहिणी ना हो तो विशेषकर चंद्रमा से मिली हुई रात्रि में श्रीकृष्णजन्मष्टमी व्रत पूजन मनाना चाहिये। कल 11अगस्त मंगलवार को रात्रि 11: 21 मिनट में चंद्रोदय हो रहा है। इस प्रकार अर्द्धरात्रि व्यापिनी चन्द्रकलाओ से युक्त औदयिक अष्टमी का कठोरता से पालन करने को वैष्णव जन 12 अगस्त बुधवार इस ब्रत पर्व को करेंगे। जबकि स्मार्ता गृहणियों के लिये 11अगस्त मंगलवार को उत्तम रहेगा। इस वर्ष दोनों दिन ही अर्द्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र का संयोग ना होने से अर्द्धरात्रि अष्टमी तिथि को प्रधानता दी जायेगी , तदानुसार 11अगस्त मंगलवार को ही श्रीकृषजन्माष्टमी प्रशस्त माना जायेगा। वैश्विक महामारी कोरोना संकटकाल को ध्यान में रखते हुये सभी लोग लाकडाऊन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुये कृष्र्णजन्माष्टमी का पर्व मनायें। इस पावन पुनीत पर्व पर समस्त भाई बहनो को स्नेह भरा आशीर्वाद , मंगलमय हो।

Ravi sharma

Learn More →