पंचतत्व में विलीन हुये रामविलास पासवान-पटना

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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पटना — लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (74 वर्ष) का गुरुवार को दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में निधन हो गया। वे पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे और 02 अक्टूबर को एम्स में उनकी हार्ट सर्जरी की गई थी। यह पासवान की दूसरी हार्ट सर्जरी थी. इससे पहले भी उनकी एक बायपास सर्जरी हो चुकी थी। उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गई। उनके निधन पर राष्ट्रपति भवन और संसद में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया। नई दिल्ली 12 जनपथ स्थित उनके आवास पर जाकर महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी। उनके निधन के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुये उनके विभाग केन्द्रीय खाद्य , सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता विभाग की जिम्मेदारी अब रेलमंत्री पीयूष गोयल को उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।इससे पहले, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पासवान के निधन पर शोक व्यक्त किया, और दिवंगत नेता की स्मृति में दो मिनट का मौन भी रखा। कैबिनेट ने पासवान के लिये एक राजकीय अंतिम संस्कार को मंजूरी दी और प्रस्ताव पारित किया। इनका पार्थिव शरीर शुक्रवार को देर शाम वायु सेना के विशेष विमान से पटना लाया गया। यहाँ पहुँचते ही सेना की टुकड़ी ने उनके पार्थिव शरीर को गार्ड आफ आनर दिया गया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार , उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी , केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रदाँजलि दी। वहाँ से रामविलास पासवान अमर रहे का नारा लगाते हुये उनका पार्थिव शरीर विधानसभा लाया गया यहाँ भी मुख्यमंत्री , उपमुख्यमंत्री विधानसभा अध्यक्ष सहित सरकार के कई मंत्री , विधायकों ने श्रद्धासुमन अर्पित किये। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को लोजपा कार्यालय ले जाया गया जहाँ पार्टी के नेता , कार्यकर्त्ताओं ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये। रात को उनका पार्थिव शरीर पटना के श्रीकृष्णापुरी आवास लाया गया। यहाँ से सेना के विशेष विमान से आज उनकी अंतिम यात्रा निकाली गयी , जिसके दौरान कार्यकर्त्ता ” गूँजे धरती आसमान , रामविलास पासवान ” जैसे नारे लगाते रहे। बिहार के मुख्यमंत्री सहित सरकार के कृषि मंत्री डॉ० प्रेम कुमार ने रामविलास पासवान को ‘भारत रत्न’ देने की मांग की है। वहीं कुछ समर्थकों ने सांसद में उनकी आदम कद की प्रतिमा लगाये जाने की मांग भी उठायी। आज दोपहर दीघा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया , उनके पुत्र चिराग पासवान ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान घाट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह, बिहार सरकार के मंत्री प्रेम कुमार, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पप्पू यादव समेत कई नेता शामिल रहे। अंतिम संस्कार में केंद्र सरकार और केंद्रीय मंत्रिपरिषद का प्रतिनिधित्व कर रहे केंद्रीय कानून एवं विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘रामविलास जी बिहार ही नहीं, देश के नेता थे, वो एक जन नेता थे। मैं अटल जी की सरकार में उनके साथ कोयला खान राज्य मंत्री था, मैं उनकी क्षमता जानता हूंँ। वो उपेक्षितों की एक बहुत बड़ी आवाज बने। ये उनके जाने का समय नहीं था।’
गौरतलब है कि बिहार की राजनीति में पांँच दशकों से एक मजबूत स्तंभ रहे रामविलास पासवान का जन्म 05 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया के शहरबन्नी गाँव में एक साधारण परिवार में हुआ था। इन्होंने छात्रसंघ से राजनीति में कदम रखा था। वे जेपी आंदोलन में भी बिहार में मुख्य किरदार थे , वे देश के दलितों की हित के लिये संघर्ष करते रहे। मृदुभाषी होने के कारण सभी के दिलों में उनके लिये जगह थी। बिहार पुलिस की नौकरी छोड़कर पहली बार वर्ष 1969 में वे विधायक बने। वर्ष 1977 में पहली बार मतों के विश्व रिकॉर्ड के अंतर से जीतकर लोकसभा पहुंँचे , इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। केंद्र में एनडीए की सरकार हो या यूपीए की, उनका महत्व समान रूप से बना रहा। लिहाजा वे पांच दशक तक बिहार और देश की राजनीति में छाये रहे. इस दौरान दो बार उन्होंने लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक मतों से जीतने का विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया। वे देश के छह प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में मंत्री रहे। वर्ष 1996 से 2015 तक केन्द्र में सरकार बनाने वाले सभी राष्ट्रीय गठबंधन चाहे यूपीए हो या एनडीए, का वह हिस्सा बने। वे समाजवादी पृष्ठभूमि के बड़े नेताओं में से एक थे , देशभर में उनकी पहचान राष्ट्रीय नेता के रूप में रही। हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से वह कई बार चुनाव जीते, लेकिन दो बार उन्होंने सबसे अधिक वोट से जीतने का रिकॉर्ड बनाया। वे देश के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक थे , वे नौ बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे। उन्होंने अपने क्षेत्र में दलितों की आवाज़ बुलंद की, जिसके बाद कई मुकामों पर पहुंँचे। वे वीपी सिंह, एचडी देवे गौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और वर्तमान में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे।

Ravi sharma

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