नर सेवा ही नारायण सेवा है – डा० आरती उपाध्याय (महिला दिवस विशेष)

(महिला दिवस विशेष)
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अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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रायपुर – भारत की अनेकों नारियों ने समय-समय पर सिद्ध किया है कि वे अबला नहीं हैं , दुनियां भर में आज महिलायें हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। कुछ तो ऐसी भी होती हैं जो खुद को हालात पर नहीं छोड़तीं बल्कि हालात को अपने अनुसार बदल डालने की जूनून रखती हैं। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हम एक ऐसी ही महिला की कहानी आपके लिये लाये हैं जिन्होंने अपने बलबूते पर मुकाम बनाकर प्रदेश भर में अपना डंका बजाया है , इनकी कहानी सच्चे मायने में प्रेरणा देने वाली हैं।
“ये मंजिलें हासिल कहां नसीब से होती हैं ?
तूफान भी हार जाते हैं , जहां कश्तियां जिद्द पे होती हैं।”
उक्त बातें राजधानी के डीडी नगर निवासी डा० आरती उपाध्याय पर चरितार्थ होती हैं। जिनकी दृढ़ इच्छा शक्ति के बलबूते कठिनाईयां कभी भी उनके पैरों की बेड़ियां नहीं बन सकीं। उनके मजबूत इरादों के आगे परेशानियों ने घुटने टेंक दिये। जीवन में एक के बाद एक कठिनाइयां आईं , जिन्हें आरती ने अपने बुलंद इरादों के बलबूते पार पा लिया।महिला दिवस के पूर्व संध्या आरती ने अरविन्द तिवारी से चर्चा के दौरान कहा कि संघर्ष ही इंसान को इंसान बना देता है और यही कटु सत्य है। अपनी निजी जिंदगी के बारे में वे कहती हैं कि तीन साल की उम्र में अनाथ के नाम का टैग लेकर चली थी लेकिन समय आने पर शादी एक बेहतरीन व्यक्तित्व के धनी और सेवा भावी ऐसे इंसान से हुई जो दूसरों के तकलीफ को अपना समझते थे। वे जिन्हें जानते नहीं थे उनका भी हर तरह से सहयोग करते थे , मुझे भी उनके इस भावना से खुशी मिलती थी क्योंकि मैं भी यही सब चाहती थी। हमेशा हम दोनों अपने अपने कार्य क्षेत्र में लोगों की मदद करने लगे। लेकिन अच्छे इंसान की ईश्वर को भी जरूरत होती है और मुम्बई में वर्ष 2010 में मेरे प्रेरक मुझे और दो बच्चों को छोड़कर चले गये। दोनों बच्चों की जवाबदारी और संघर्ष ने मुझे मजबूत बना दिया। हालांकि मुझे अच्छे लोग भी मिले लेकिन मै कभी भी किसी से मदद नहीं ली। वर्ष 2002से आज पर्यन्त तक मानव सेवा को अपना कर्म मानते हुये अभी तक 150 से निर्धन कन्याओं की शिक्षा का जिम्मा मैंने उठाया और लगभग 200 से अधिक निर्धन परिवार के सदस्य का अंतिम संस्कार में लकड़ी और आवश्यक सामग्री उपलब्ध करायी है।यह सब मैं अपनी आत्मसंतुष्टि के लिये करती हूं और आजीवन करती रहूंगी। उन्होंने बताया कि दो साल कोरोना काल में मै खुद लोगों को भोजन , दवाई और आवश्यक सामग्री पहुंचाने का कार्य किया है। अभी भी जिला पंचायत के साथ काउंसिलिंग का कार्य कर रही हूं , ईश्वर ना करें विकट स्थिति आये लेकिन यदि संकट आया तो भी मै सेवा कार्य से पीछे नहीं हटूंगी। मैं अभी समग्र ब्राह्मण परिषद की प्रदेश प्रवक्ता , चौपाल परिवार , नारी चौपाल अध्यक्ष और मेरा स्वयं का चैरिटेबल स्व० निर्मला देवी मिश्रा चैरिटेबल संचालित है। सामाजिक संगठनों द्वारा प्राप्त सम्मान के बारे उन्होंने बताया कि मुझे मानव रत्न अवार्ड , छत्तीसगढ़ रत्न अवार्ड , नारी शक्ति सम्मान , सरस्वती सम्मान , देश भक्ति सम्मान , अनाहिता सम्मान , उत्कृष्ट अध्यक्ष सम्मान , चन्द्रशेखर आजाद सम्मान जैसे लगभग तेरह सम्मान से सम्मानित होने का अवसर मिला। मीडिया के माध्यम से समाज को दिये अपने संदेश में उन्होंने पाठकों और आम जनता से अपील की है कि आप सभी अपने बच्चे , अपने परिवार , मां-पिताजी के लिये सभी करते हैं एक बार जिन्हें आप नहीं जानते और जरूरतमंद है उनकी भी मदद करके देखिये। आप यकीन नहीं करेंगे ऐसा करने से आपको कोई पूजा , अर्चना या तीर्थ की आवश्यकता महसूस नहीं होगी और आप एक अलग ही आत्मशांति और खुशी का अनुभव करेंगे। उन्होंने अपने संक्षिप्त संदेश में कहा कि यदि ईश्वर ने मौका दिया है तो मानव सेवा अवश्य करें।

Ravi sharma

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