नकली शंकराचार्य प्रकरण पर पुरी शंकराचार्य की शासन तंत्र को चेतावनी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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जगन्नाथपुरी — शिवावतार भगवत्पाद आदि शंकराचार्य महाभाग द्वारा स्थापित चार मान्य आम्नाय पीठों में से एक श्रीगोवर्धनमठ पुरी पीठ पर वर्तमान में 145 वें शंकराचार्य के रूप में हिन्दुओं के सार्वभौम धर्मगुरु श्रीमज्जगदुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाभाग विराजित है पुरी शंकराचार्य जी सनातन वैदिक आर्य शास्त्रसम्मत सिद्धान्तों में निहित ज्ञान विज्ञान को जनकल्याण एवं विभीषिका निवारण के उपाय के रूप में भारत ही नहीं पूरे विश्व की सुलभ करा रहे हैं, ऐसे दिव्य विभूति के स्थान पर किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं को पुरी के शंकराचार्य के रूप में प्रकट करना तथा उस पर शासनतन्त्र द्वारा कार्यवाही ना करना यह सिद्ध करता है कि नकली शंकराचार्यों को शासन समर्थन दे रहा है। इस संबंध में पुरी शंकराचार्य जी ने शासनतन्त्र के समक्ष आपत्ति करते हुये उन्हें सचेत किया है कि हमारी शान्तिप्रियता को केन्द्रीय और प्रान्तीय शासनतन्त्र दुर्बलता ना समझे पुरीपीठ के मान्य शंकराचार्य के रूप में स्वयं को स्थापित कर विश्वस्तर पर अराजकता फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति को हम सहन नहीं कर सकते। क्या नकली मुख्यमन्त्री , नकली प्रधानमन्त्री , नकली दलाईलामा और नकली पोप को आप सह सकते हैं , यदि नहीं ; तब पुरी के नकली शंकराचार्य को सहन करना क्या राष्ट्रद्रोही का समर्थन नहीं है। धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में व्याप्त अराजकता तथा उन्माद की उपेक्षा या सहिष्णुता अथवा उसका गुप्त या प्रकट समर्थन राष्ट्र के अस्तित्व और आदर्श के लिये अवश्य ही विघातक सिद्ध होगा। मानवाधिकार की सीमा में अपने दायित्व का निर्वाह करने से कदापि हम पीछे नहीं हट सकते। मान्य श्रीयोगी जी आप जिस प्रान्त के मुख्यमन्त्री है, उस प्रान्त की यह गाथा है। मान्य श्रीमोदी जी आप की उस अराजकतत्व की उपेक्षा या उसके प्रति आपकी उदारता आपकी छवि को विकृत करने वाली है अथवा नहीं , इस पर आप स्वयं सहृदयता पूर्वक विचार अवश्य करें।

Ravi sharma

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