द रीयल एक्शन हीरो-इंमोशनल इंटेलिजेंस-डॉ॰ मनोज कुमार

“बोल रे भैय्या अईशा..
जोर लगा दियो वैइशा…
मदद दीहें गंगा माई रे..हुरे..रे..!”
ये संयुक्त आवाजें कुछ लोगों की थी।अभी वह दीघा-सोनपुर के जे.पी ब्रिज पर थी।नजर उठाया तो देखा गाँव के घाट की ओर कुछ मजदूर मोटे-मोटे रस्सों से एक विशालकाय नाव को खींच रहे थे।नजदीक जाने पर उसने देखा तनी हुयी मांसपेशियों और आँखों में चमक लिए नाविक अपने लक्ष्य को दबोच लेना चाह रहें थे।घाट के पास पहुंची तो देखा की
उन मजदूरों के तन पर काफी कम कपङे थे। एक तरफ खाने की पोटली दिख रही थी तो दुसरी ओर घाट पर कुछ ही दूरी पर बने मचान पर बच्चे खेल रहे थे। जैसे-जैसे नाव पानी से जमीन पर उठता चला आ रहा था बच्चों की खुशियाँ दुगुनी हो रही थी और मजदूरों के हौसले भी बुलंद हो रहे थे।
राव्या की बोझील नजरें ये सब देख रहीं थी।
धीरे से उसने दुपट्टे को माथे पर रखने की कोशिश की और आचमन करने के लिए चुल्लू में पानी लिया।गौर से वह पानी में अपने प्रतिबिंब को देखने लगी।
आखिर आज उसने इतना बङा कदम क्यो उठाना चाहा।अपनी जीवन की इहलीला को ही समाप्त करने के मकसद से वो यहाँ पुल पर आयी थी।
दरअसल राव्या विगत कुछ सालों से पटना में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की यहाँ तैयारी कर रही थी। बाकी दोस्तों ने अपने-अपने मुकाम हासिल कर लिए थे ।पर वह आज हार मान कर आत्मघाती कदम उठाने की सोची।शायद आज इन नाविकों ने उसमे नयी ऊर्जा भर दिया।
वह एहसानमंद तरीके से घाट से शहर की ओर बढने लगी।
रास्ते में वह शिवम के बारे में सोच रही थी।उसके पिता एक किसान थे और परिवार में तीन बहनों की शादी करनी थी।पिता को प्रोर्शेथ्त कैंसर।मां को मजदूरी के आलावा कोई साधन आय का न था।
शिवम ने कैसे पटना में रहकर अपना ग्रेजुएशन किया और आज पिछले सप्ताह बी.पी.एस.सी निकाल सूबे में अपनी पहचान बनायी।
वह कौन सी परिस्थिति होती हैं जिसमें इंसान परिश्रम की पराकाष्ठा पार कर जाता है।
यह सोचते हुए अब वह अपने हॉस्टल के बेड पर पसर गयी।
निढाल होकर वह सेमिनार में मेरे द्वारा पटना के आई. एम. ए ह्वाल में इंमोशनल इंटेलिजेंस पर कही बातों को याद करने लगी।

एक्शन हीरोज की भूमिका में हमारी भावनाएँ ।
————————————

जब व्यक्ति अपनी भावनाएँ को समझने-बूझने लगता हैं और दुसरे की इमोशंस को भी परखने की बखूबी प्रयास करता हैं तब उसका इंमोशनल इंटेलिजेंस धारदार हथियार बनकर सफलता के उच्च शिखर पर बिठा देता है।

तीन बातें आपको बनाती हैं एक्शन हीरो।
—————————————

भावनात्मक बुद्धि व्यक्ति को सफलता के शिखर पर ले जा सकता हैं बशर्ते वह तीन चैलेज को अपने जीवन में अख्तियार करें
1—-पहली शर्त अगर व्यक्ति अपनी भावनाएँ से चिरपरिचित हो जाये।
2—-दुसरी अगर आप अपनी भावनाओं को अच्छी तरह व्यवस्थित करने की आदत डाले।
3—तीसरा अहम पहलू अगर आप खुद से मोटिवेटेड होने की दरख्वाश्त करने लगे।

सफलता के लिए इंमोशनल इंटेलिजेंस की दरकार।
——————————————-

अगर आपको किसी भी क्षेत्र में सफल होना हैं मसलन प्रतियोगिता, स्कूल-कालेज,कार्यालय मे अव्वल होना हो तो अपनी भावनाएँ काबू में रखनी होगी।
80% कामयाबी इसी बुद्धि से लोग पाते हैं।

कैसे अपनी भावनात्मक बुद्धि को बढायें।
—————————————

यह भी एक सामाजिक बुद्धि ही है। इसी बुद्धि की वजह से बिहार बोर्ड से पास हिन्दी मीडीयम का व्यक्ति अग्रेजी माध्यम के कार्यालय में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा देता है।
—सबसे पहले आपको खुद के भावों को समझना होगा।
—–आपको देखना होगा की कही आप ज्यादा या कम भावुक तो नही।
—बात-बात पर रोना या दुसरे के दुःख में खुद को बहा देना या आसपास होने वाले घटना से खुद को अलग रखना ।कही ये सब तो आपमें नही हैं न।
—-आप अपनी भावनाएँ व्यवस्थित भी करे तो ज्यादा अच्छा होगा।यानी न ज्यादा भावुक होकर जिए और नाहिं कम ।
—अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदार व आसपास के लोगों की भावनाओं की प्रेक्षण करतें रहे।
—-लोगों की भावनाएँ व खुद की इमोशंस को अगर प्रबंधन करना सीख जायेंगे तो आपमें जो चिंतन विकसित होगा वह आपके एक्शन की अगुवाई करेगा।
—इसके बाद ही आप असीमित तकलीफों को चीरते हुए कामयाबी के झंडे गाड़ने शुरू करने लगेंगे।

(लेखक डॉ॰ मनोज कुमार, जाने-माने मनोवैज्ञानिक है। इनका संपर्क नं-9835498113 है।)

Ravi sharma

Learn More →