दो दिवसीय हिन्दू राष्ट्र संघ अधिवेशन का पंचम चरण आज से-जगन्नाथपुरी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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जगन्नाथपुरी — ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठ में श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज के पावन सान्निध्य में हिन्दू राष्ट्रसंघ अधिवेशन के दो दिवसीय पञ्चम चरण का आयोजन 24 और 25 अक्टूबर 2020 को सायं 05:00 बजे से रात्रि 08:30 तक यान्त्रिक विधा से सङ्गोष्ठी के रूप मेें फेसबुक के माध्यम से किया जा रहा है जिसमें 50 से अधिक राष्ट्रों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। इससे पूर्व इस अभियान के अन्तर्गत प्रथम 24 सितम्बर से 27 सितम्बर तक चार दिवसीय , द्वितीय 03 अक्टूबर से 05 अक्टूबर तक तीन दिवसीय , तृतीय 11 से 12 अक्टूबर तक दो दिवसीय एवम् 18 अक्टूबर का एक दिवसीय चार चरणों में हिन्दू राष्ट्रसंघ अधिवेशन का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ जिसमे 48 राष्ट्रों के 126 प्रतिनिधियों ने अति उत्साह और अपनत्वपूर्वक इन अधिवेशनों में भाग लेकर अपने विचार रखे और पूज्य शंकराचार्य जी से मार्गदर्शन , आशीर्वाद प्राप्त किया। हिंदुत्व में आस्था रखने वाले व्यक्तियों को इसमें भाग लेने के लिये प्रेरित करें। अधिवेशन के प्रतिपाद्य विषय व विचार – बिन्दु इस प्रकार प्रतिपादित हैं– वैदिक वाड्मय में हिन्दु ( हिन्दू) शब्द ,हिन्दुधर्म की सीमा में विविध पन्थ तथा उनमें सामञ्जस्य का स्वस्थ प्रकल्प , अन्यों के हित का ध्यान रखते हुये हिन्दुओं के अस्तित्व और आदर्श की रक्षा के विविध उपाय,एशिया- महाद्वीप के अन्तर्गत प्रथम चरण में भारत, नेपाल और भूटान को हिन्दूराष्ट्र के रूप में ख्यापित करने की परियोजना , गौवंश, विप्र , वेदादि हिन्दुओंके प्रशस्त मानबिन्दुओं की रक्षा के अमोघ उपाय , लोकतान्त्रिक शासनकाल में हिन्दुत्व की रक्षा का अन्तर्निहित प्रकल्प , सबके मूल पूर्वज की परख ,हिन्दुत्व का द्योतक सनातन शास्त्रसम्मत मर्यादित जीवन। हिन्दुत्व के उद्गमस्रोत वैदिक – सिद्धान्त को समझने और उसके क्रियान्वयन में प्रमाद के फलस्वरूप क्रिश्चियन आदि विविध तन्त्रों की उद्भावना, अतएव दार्शनिक,वैज्ञानिक और व्यावहारिक धरातल पर वैदिक सिद्धान्तको विश्वस्तर पर यथावत् उद्भासित करने की आवश्यकता, मानवोचित शील की सीमा में विविध तन्त्रों में सामन्जस्य का स्वरूप , हिन्दु – राष्ट्रध्वज तथा हिन्दु – राष्ट्रगान की संकल्पना।

Ravi sharma

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