सुशासन बाबू की सात निश्चय कि अत्यंत महत्वाकांक्षी योजनाओं मे शुमार नल-जल योजना कि हकीकत सरकारी बाबुओं कि कागजी कामयाबी से कोसों दूर है.सूबे के कई जिलो मे यह महत्वाकांक्षी योजना घोर कमिशनखोरी,आला अधिकारियों की उपेक्षा और बगैर टास्क के चलने के कारण दम तोड़ रही हैं.इसके कुछ निम्न कारण है.
1-दरअसल इस संबंध मे हो रहे काम को देखकर यह स्पष्ट महसूस होता हैं कि सरकार ने इतनी बड़ी महत्वाकांक्षी योजना को धरातल पर उतारने के लिए कोई ठोस प्लानिंग नहीं कि थी.
2-कमिशनखोरी के कारण घटिया वस्तुओं का प्रयोग,घटिया पाईप लगाना,गाईडलाईन के मुताबिक पाईप को सही से नहीं लगाना आदी.
3-योजना के क्रियान्वयन मे लिपापोती,आला अधिकारियों की उपेक्षा
4-कई जगहों से सड़क किनारे निकले पाईप, लगे हुए नल का चोरी होना
5-कई जगहो पर अच्छे-भले बने सड़क को बीच से काटकर पानी सप्लाई कि पाईप लगाना.आदी.
ऐसे तमाम खामियों के कारण यह योजना लाभकारी कम और जनता के लिए सिरदर्द ज्यादा बन रही है.तो वहीं
सरकारी अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों कि शिथिलता सुशासन बाबू के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को साकार होने से रोक रही है. जहां बनी हुई सड़कों को काटकर पाईप ले जाने का काम हुआ है और हो रहा है वहां बरसात के मौसम के कारण चलना दुभर हो गया है.उन्हें तो न अभी सप्लाई का पानी मयस्सर है न चलने के लिए सड़क ही सही बची है. ग्रामीण इलाकों के अपेक्षा शहरी क्षेत्रों मे इस योजना की हालत ज्यादा खराब है.हालांकि इतने बड़े बजट की योजना और इसके जमीनी हकीकत को देखकर इसके उच्चस्तरीय जांच की मांग भी होने लगी है.लोगो को लगने लगा है कि सुशासन बाबू के इस ड्रीम प्रोजेक्ट मे बड़ा घपला हुआ है.