अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
बद्रीनाथ — द्वारिका एवं ज्योतिष्पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि महाराष्ट्र में जूना अखाड़े के कुछ संत किसी धार्मिक कार्य से कहीं जा रहे थे , एकाएक भीड़ ने आकर उनको डंडों से मारना प्रारंभ कर दिया और जब तक उनके प्राण नहीं चले गये तब तक डंडे उन पर चलते रहे। ये चिंतनीय घटना है और इससे लोगों के मन में ये भावना उत्पन्न हो रही है क्या संत महात्मा अब स्वछंद भ्रमण भी नहीं कर सकते ? वे किसी के अहित के लिये नहीं जा रहे थे और दुःख की बात है कि वहांँ पर पुलिस भी थी। जब डंडों का प्रहार चलता रहा तो पुलिस को तो कुछ ना कुछ करना चाहिये था , जब उनके प्राण ही चले गये तो न्याय किसको मिलेगा। ऐसी स्थिति में शासन का कर्त्तव्य था कि वो उनके प्राणों की रक्षा करवाती, वहांँ पर शासन और पुलिस पूर्णतया पर उत्तरदायी है। ऐसी स्थिति में पुलिस की निष्क्रियता और जो भीड़ है उसके द्वारा एकाएक आक्रमण करके प्राणों का हरण करना ये बहुत ही निंदनीय और सोचनीय घटना है, इसका पूर्णरुप से जानकारी प्राप्त करके सरकार को उचित कार्यवाही करना चाहिये , अपराधियों को दंड देना चाहिये जिससे कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो।