अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
शिवरीनारायण — हमारी बुद्धि की सीमा से ईश्वर हट नहीं सकता कारण कि हमारी बुद्धि ससीम और ईश्वर असीम है। पहले ईश्वर का श्रवण करें, फिर दर्शन करें, बिना सुने दर्शन करना चाहें तो हम उसे देख नहीं पायेंगे, भगवान किसी रूप में आपके सामने साक्षात आ भी जायें तो उन्हें आप पहचान नहीं पायेंगे।
उक्त बातें निकुंज आश्रम श्री धाम अयोध्या से पधारे हुये जगतगुरु श्री रामानुजाचार्य श्री स्वामी रामकृष्णाचार्य जी महाराज ने शिवरीनारायण मठ महोत्सव के द्वितीय दिवस व्यासपीठ की आसंदी से अभिव्यक्त की उन्होंने कहा कि शिवजी ने रामजी को देखा और सती ने भी लेकिन एक के हृदय में हर्ष और दूसरे के हृदय में संदेह उत्पन्न हुआ इसीलिये यदि कथा सुनकर के ईश्वर को देखोगे तो हर्ष उत्पन्न होगा और बिना सुने दर्शन हो भी जाये तो संदेह उत्पन्न हो जायेगा। जगत पर आप संशय कर सकते हैं लेकिन जगदीश पर किया गया संशय आपके जीवन के लिये विनाशकारी होगा। भगवान भोलेनाथ ने माता सती को बहुत समझाया किंतु वह समझ नहीं पाई तब शिवजी ने कहा जौ तुम्हारे मन अति संदेहु, तौ किन जाई परीक्षा लेहू जब तुम्हारे मन में अत्यधिक संदेह है तब तुम जाकर के परीक्षा क्यों नहीं ले लेती? याद रखना ईश्वर परीक्षा का विषय नहीं है उसे प्राप्त करने के लिये विश्वास विवेक और विचार इन तीन चीजों का होना आवश्यक है। जैसे ही सती रघुनाथ जी की परीक्षा लेने चली विश्वास और विवेक ने उनका साथ छोड़ दिया केवल विचार ही उसके साथ रह गया पुनि- पुनि ह्रदय विचार करि, धरी सीता कर रूप।उसने सीता का रूप धारण कर लिया लेकिन आचरण नहीं बदल सकी। हमारी सिया जी कभी राघवजी के आगे नहीं चली और सती भगवान भोलेनाथ के आगे चलने लगी यह तथ्य परक बातें हैं कि हम परीक्षा उसी की ले सकते हैं जिसकी योग्यता हमसे कम हो, दुनियाँ के हर रिश्ते में जब तक विश्वास रहता है छल और कपट नहीं होता रिश्ते बने रहते हैं लेकिन कपट के आते ही रिश्ते बिखर जाते हैं। इसलिये अपने रिश्तों में कभी भी छल और कपट को आने मत देना उन्होंने श्रोताओं से कहा कि आप कभी भी कथा सुनने आयें तो अपने संपूर्ण परिवार को साथ लेकर आयें। जब आप सिनेमा, सर्कस, पिकनिक के स्थान पर जाते हैं तब तो पूरा परिवार आपके साथ होता है लेकिन जब राम कथा के जैसे आध्यात्मिक कार्यो में आते हैं तब अकेले आ जाते हैं जहां बिगड़ना है वहां परिवार सहित और जहां बनना है वहां अकेले आना उचित नहीं है। मंच पर मुख्य यजमान के रूप में शिवरीनारायण मठ के पीठाधीश्वर राजेश्री डॉक्टर महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज विराजित थे।
विधानसभा अध्यक्ष पहुंचे कथा श्रवण करने
छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत शिवरीनारायण मठ महोत्सव में रामकथा का रसपान करने के लिये मंच पर उपस्थित हुये। इस अवसर व्यास मंच से उन्होंने आशीर्वाद प्राप्त किया लोगों को अपने संदेश में विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह हम सबका सौभाग्य है कि यहां शिवरीनारायण मठ मंदिर में हर वर्ष राम कथा श्रवण करने का सौभाग्य हम सबको प्राप्त होता है। हमने राम जी के साथ भगवान भोलेनाथ की कथा सुनी, यह प्रेम की भूमि है माता शबरी के प्रेम में यहां तक भगवान आ गये थे। हम लोग भी उसी प्रेम के कारण यहां उपस्थित होते हैं महाराज जी का आशीर्वाद हम सभी पर निरंतर बना रहता है हमें यहां से ऐसा आशीर्वाद प्राप्त हो जिससे हम समाज के हित में अच्छे से अच्छा कार्य कर सकें।