कॉमरेड गणेश शंकर विधार्थी का निधन-पटना

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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पटना –कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व विधायक गणेश शंकर विद्यार्थी का लंबे समय से बीमार चलने के बाद पटना के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। इनका जन्म रजौली में वर्ष 1924 में हुआ था। उनका परिवार इलाके में काफी प्रतिष्ठित था। बताया जाता है कि गणेश शंकर विद्यार्थी वर्ष 1952 से ही राजनीति में आये थे। उनका पूरा परिवार कांग्रेसी था। परिवार में वह इकलौते ऐसे शख्‍स थे जो कम्युनिस्ट पार्टी के साथ खड़े होकर अंतिम सांँस तक चलते रहे। उन्होंने 12 बार चुनाव लड़ा, जिसमें दो बार ही उन्हें जीत मिली थी। लगातार पाँच बार चुनाव हारने के बाद नवादा विधानसभा क्षेत्र से 1977 में उनकी पहली जीत हुई और 1980 में वे दोबारा निर्वाचित हुये। वे एक बार एमएलसी भी बनाये गये थे। बताया जाता है कि गणेश शंकर विद्यार्थी अल्प आयु से ही लोगों के लिये काम करना चाहते थे। बारह वर्ष की उम्र में ही अंग्रेजी हुकूमत के समय अंग्रेजी हुकूमत के इमारत पर नवादा में तिरंगा फहराने वाले वामपंथी थे। वे छह बार जेल गये और करीब सात साल जेल में बिताये। वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय एक साल जेल में रहे। फिर 1944 में एक जुलूस के कारण जेल गये , उसके बाद1946 में कैदियों की रिहाई आंदोलन के कारण जेल गये। वर्ष 1948 में उनके संगठन को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया था , तब तीन साल तक जेल में रहे।वर्ष 1962 में करीब चार माह जेल में रहे। 1964 में सीपीआई से अलग होकर सीपीएम बनी तब नजरबंद रहे थे। 1965 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी पैरवी करने खुद गये थे तभी गिरफ्तार कर लिये गयेऔर ढाई साल तक जेल में रहे। वे स्वतंत्रता सेनानी रहे , लेकिन पेंशन नहीं ली। वे 97 वर्ष की उम्र में भी लोगों के लिये सेवा भावना से काम करने को तत्पर रहते थे।

Ravi sharma

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