केरल विधानसभा में नये कृषि कानून के विरूद्ध प्रस्ताव पारित-तिरूवनंतपुरम

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
———————————–
तिरूवनंतपुरम — केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर बुलाये गये केरल विधानसभा के विशेष सत्र में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने गुरूवार को केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा के विशेष सत्र में प्रस्ताव पेश किया और केन्द्र में भाजपा नीत राजग सरकार पर निशाना साधा। किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने और उनके साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिये बुलाये गये एक घंटे के विशेष सत्र में यह प्रस्ताव पेश किया गया। यह प्रस्ताव कोविड-19 के नियमों का अनुपालन करते हुये बुलाये गये विशेष सत्र में पारित किया गया। सीएम विजयन ने प्रस्ताव पेश करते हुये नये कानूनों को तत्काल वापस लिये जाने की मांँग करते हुये कहा कि देश किसानों द्वारा किये इतिहास के अब तक के सबसे प्रभावशाली प्रदर्शनों में से एक को देख रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र के कृषि कानून ‘किसान-विरोधी’ और ‘कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने वाले’ हैं। प्रस्ताव को पेश करते हुये मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने आरोप लगाया कि केन्द्र के कानूनों में संशोधन उद्योगपतियों की मदद के लिये किया गया है। उन्होंने कहा कि इन तीन विवादित कानूनों को संसद की स्थायी समिति को भेजे बिना पारित कराया गया। अगर यह प्रदर्शन जारी रहता है तो एक राज्य के तौर पर केरल को बुरी तरह से प्रभावित करेगा। माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ)के सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। प्रस्ताव पर करीब दो घंटे की चर्चा के बाद सदन में इसे ध्वनिमत से पारित किया गया। विधानसभा अध्यक्ष पी श्रीरामाकृष्ण ने कहा कि प्रस्ताव का पारित होना किसानों की माँग के प्रति सदन की भावना को प्रतिबिंबित करता है। वहीं भाजपा विधायक ओ. राजगोपाल ने केरल के सीएम द्वारा केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करते हुये उठाये गये प्रस्ताव का विरोध करते हुये कहा कि इसी तरह के कृषि कानूनों का वादा कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किया था , सीपीआई (एम) ने भी इस तरह के कानून लाने की मांँग की जबकि अब दोनों दल इसका विरोध कर रहे हैं , किसानों को गुमराह नहीं होना चाहिये। चर्चा के बाद केरल विधानसभा केंद्र सरकार द्वारा लाये गये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में कहा गया है, ‘किसानों की वास्तविक चिंताओं को दूर किया जाना चाहिये और केंद्र को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिये।
गौरतलब है कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों और सरकार के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में हुई छठे दौर की वार्ता में दो मुद्दों पर आपसी सहमति बन गई। एक विद्युत संशोधन विधेयक 2020 और दूसरा पराली जलाने पर दंड संबंधी पर्यावरण प्रबंधन आयोग अध्यादेश 2020। अब एमएसपी खरीद को कानूनी सुरक्षा देने तथा तीनों कानूनों को रद्द करने के मुद्दे पर सरकार ने फिर से समिति गठित करने की पेशकश की है। जिसका किसानों ने फिर विरोध किया। सरकार ने अब इन बाकी मुद्दों पर 04 जनवरी को फिर से बैठक बुलायी है। इस दौरान कृषि मंत्री ने आंदोलन में शामिल बुजुर्गों और बच्चों को वापस घर भेजने की अपील किसानों से की है। उन्होंने कहा कि कृषि उपज की एमएसपी तथा बाजार भाव के अंतर के समाधान के लिये समिति गठन की पेशकश की गई है।

Ravi sharma

Learn More →