आज हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भोजली पर्व-जाँजगीर चाँपा

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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जाँजगीर चाँपा — आज प्रदेश भर में छत्तीसगढ़ का लोक पारंपरिक भोजली त्यौहार उमंग और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। अच्छे फसल और खुशहाली की कामना के लिये अपने अपने घरों में लोग छोटी छोटी टोकनी में भोजली बोते हैं। फिर बच्चियांँ उन भोजली की टोकरियों को सिर पर लेकर बाजे गाजे के साथ नदी या तालाब में विसर्जन के लिये निकलती हैं। इस दौरान उनके द्वारा देवी गंगा देवी गंगा लहर तुरंगा हमर भोजली दाई के भीजे आठो अंगा गीत गाये जाते हैं। गांँव , नगर में भ्रमण कर नदी तालाब में भोजली का पूजा पाठ कर विसर्जन करते हैं.. उसके बाद एक दूसरे को भोजली देते हैं भोजली देकर बड़ो का आशीर्वाद लिया जाता है। वहीं हम उम्र के लोग एक दूसरे की कान में भोजली रखकर दोस्ती निभाने का संकल्प भी लेते हैं। जिसके बाद दोस्ती ऐसी पक्की हो जाती है कि एक दूसरे का नाम नही बल्कि मितान बोलकर ही सम्बोधन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन एक दोस्त बनने के बाद जीवन भर मित्रता निभाने के संकल्प का पालन करते हैं। हालांकि अब शहरो में यह परंपरा कम ही दिखाई देती है मगर गांवो में इस तिहार को पूरे उत्साह के साथ उत्सव की तरह ही मनाया जाता है।

Ravi sharma

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