अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आज नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) नियमों को अधिसूचित कर दिया है , इसके साथ ही यह कानून अब देश भर में लागू हो गया है। इसके तहत शरणार्थियों को देश की नागरिकता मिल सकेगी। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार का यह बड़ा कदम है , इसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। इसके लिये उन्हें केंद्र सरकार द्वारा तैयार किये गये ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा। बताते चलें वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने सीएए को अपने घोषणा पत्र में शामिल करते हुये इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हाल ही के अपने चुनावी भाषणों में कई बार नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने की बात कर चुके थे। उन्होंने ऐलान किया था कि लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू कर दिया जायेगा। अब केंद्र सरकार ने इसके लिये एक नोटिफिकेशन जारी करते हुये इसे लागू कर दिया है। सीएए के तहत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। केंद्र सरकार ने सीएए से संबंधित एक वेब पोर्टल भी तैयार कर लिया है, जिसे नोटिफिकेशन के बाद लॉन्च किया जायेगा। तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दी जायेगी। इसके लिये बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आये विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम नियमों की अधिसूचना जारी होना केंद्र सरकार का बड़ा फैसला है।
किसे मिलेगी नागरिकता –
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इसके तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आये हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जायेगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिये आवेदन कर सकेंगे। भारतीय नागरिकों से सीएए का कोई सरोकार नहीं है , संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है और सीएए या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता। नागरिकता प्राप्त करने के लिये आवेदन ऑनलाइन करना होगा। आवेदक को बताना होगा कि वे भारत कब आये , पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज होने पर भी वे आवेदन कर सकते हैं। इसके तहत भारत में रहने की अवधि पांच साल से अधिक रखी गई है। जबकि बाकी विदेशियों (मुस्लिम) के लिये यह अवधि ग्यारह साल से अधिक है।