अयोध्या में सिर्फ राममंदिर ही बनें — झम्मन शास्त्री

आचार्य झम्मन शास्त्री

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

रायपुर — पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी के पावन संदेश को जन – जन तक पहुँचाने हेतु धर्मसंघ पीठ परिषद , आदित्यवाहिनी -आनन्दवाहिनी संगठन द्वारा जनजागरण अभियान का शुभारंभ किया गया जो आगामी दिनों में पूरे प्रदेश में अनवरत रूप से जारी रहेगा। इस संबंध में पीठ परिषद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ प्रदेशाध्यक्ष आचार्य झम्मन शास्त्री ने पत्रकार वार्ता करते हुये कहा कि हम उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते है लेकिन रामजन्मभूमि में रामलला का मंदिर ही बने इसकी अधिक आवश्यकता है। अन्य कोई भी प्रतीक के रूप में वहांँ बनाने की योजना देश के लिये और विश्व के लिये भी उचित नही है , वहांँ पर केवल रामलला का मंदिर ही बनायी जाये। पाँच एकड़ जमीन दे दो मस्जिद भी बनाओ यह जो व्यवस्था की गयी है यह उचित नहीं है। हमारे पूज्यपाद गुरुदेव भगवान श्री शंकराचार्य पुरी पीठाधीश्वर लगातार इस विषय पर पूरे समाज को आगाह कर रहे हैं कि शासन तंत्र को भी और न्याय प्रणाली को भी कि इससे यह विघातक होगा, विस्फोटक होगा और इससे देश में वातावरण श्रद्धा पूर्ण नहीं बन पायेगा , शांति के नाम पर यह अशांति का केंद्र बन जायेगा यह और अधिक गंभीर चिंतन का विषय है। पुरीपीठ के अंतर्गत अयोध्या का क्षेत्र भी आता है इसलिये सार्वभौम शंकराचार्य धर्मगुरु हैं, हिंदुओं के और उनके दिशा निर्देश से यदि कार्य करें सरकार तो मानवता के लिये भी लाभ होगा और मानवाधिकार की सीमा में हिंदुओं को उचित न्याय मिल पायेगा इसकी अधिक आवश्यकता है इस पर चिंतन हो। नहीं तो वह मंदिर के साथ-साथ एक नये मक्का का निर्माण हो जायेगा गुरुदेव जी लोगों को यह आगाह कर रहे हैं कि जो परिस्थितियाँ आज काशी में है, मथुरा में है, वही स्थिति आज अयोध्या में बनने जा रही है तो यह कौन सा न्याय है ? सरकार को, शासन तंत्र को, इसके लिये गंभीरता से विचार करना चाहिये और शंकराचार्य जी के मार्गदर्शन पर चलना चाहिये। जो ट्रष्ट बने उसमें हम यह चाहते हैं कि ऐसे लोग सम्मिलित हो जो प्रमाणिक धर्माचार्य हैं, शंकराचार्य हैं, गुरुदेव हैं इनसे ही मार्गदर्शन लेकर के अयोध्या में ट्रस्ट का निर्माण हो और वहांँ की व्यवस्था ,वहां की पूजन पद्धति ,कैसी हो ? यह प्रमाणिक शंकराचार्य ही बता सकते हैं।

Ravi sharma

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