हरिहरक्षेत्र(सोनपुर)-आज दिनांक 12 फरवरी को महायज्ञ के दुसरे दिन पँचाग पुजन अरणीमन्थन एवँ मण्डप प्रवेश के साथ हजारों भक्तोँ ने यज्ञ मण्डप की परिक्रमा की.
इस अवसर पर भगवान श्री गजेन्द्र मोक्ष का प्रथम पुजन श्रीगरुड.ध्वजारोहण हुआ, साथ ही भगवान का सहस्त्रधारा पद्मधारा चक्रधाराओँ से विभिन्न औषधियों से एवँ पँचामृत से विशेष अभिषेक हुआ.श्रीसुक्त पुरुष सुक्त के मँत्रोँ से विशेष पदार्थों से हवन हुआ. सायँ धर्ममँच दीप पर दीप प्रज्वलित कर वैदिक विद्वानों एवँ पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने उदधाटन किया.इस अवसर पर समस्त श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने कहा कि यज्ञ मानव जीवन का सबसे बडा महत्वपूर्ण कर्म है.
यज्ञ नही तो जन्म नही. गर्भाधान से लेकर मृत्यु अन्त्येष्टि पर्यन्त सोलह प्रकार के सँस्कार है. सभी यज्ञ ही है.गर्भ भी कुण्ड है उस कुण्ड मे शुक्रोँ की आहूति दी जाती है. जिससे स्थावर जँगम कीट पतँगोँ का जन्म होता है.उसी प्रकार यज्ञकुण्ड अग्निकुण्ड उदरकुण्ड है. सभी कुण्डो मे अलग अलग आहुतियां दी जाती है. उन आहुतियोँ से अलग अलग फल मिलता है. अग्नि भी चार प्रकार की है यज्ञाग्नि, जठराग्नि, बडवाग्नि, योगाग्नि, श्मशाग्नि.यज्ञाग्नि से हवन होता है.
इस अवसर पर भजन सँकीर्तन प्रवचन का कार्यक्रम हुआ. पँ० कुशेश्वर चौधरी ,नन्दकिशोर तिवारी ,दिलीप झा ,फूल झा, सुधाँशु सिह ,शारदा देवी, पार्वती देवी ,शैलेन्द्र ठाकुर ,विरेन्द्र शास्त्री, शिव कुमार झा, गोपाल झा,नन्द कुमार राय,समाजसेवी लालबाबू पटेल, वगैरह उपस्थित थे.