स्वस्थ जीवन जीने की कला है योग – अरविन्द तिवारी

(अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष)
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नई दिल्ली — अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का सातवां उत्सव भारत के साथ-साथ दुनियां भर के अधिकांश देशों में आज नई थीम- “योग के साथ रहें , घर पर रहें” के तहत मनाया जायेगा। हालांकि इस साल योग दिवस के लिये कोई भी आयोजन नहीं किया जा रहा है , लोग इसे अपने अपने घरों में मना सकते हैं। योग पर विस्तृत जानकारी देते हुये अरविन्द तिवारी ने बताया कि योग को स्वस्थ जीवन व्यतीत करने की कला तथा विज्ञान माना जाता है। योग संस्कृत से निकला है। योग शरीर और चेतना का मिलन है , यह दैनिक जीवन में एक संतुलित जीवन शैली को बनाये रखता है। वर्तमान कोविड-19 महामारी के चलते अपने अंदर सकारात्मक ऊर्जा और बेहतर रोग प्रतिशोधक क्षमता विकसित करने के लिये योग की महत्वता और भी अधिक हो चली है।योग शरीर , मन , बुद्धि और आत्मा को एकमस्त करने वाला अद्वितीय माध्यम है। कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिये योग ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रशिक्षक योग सिखाने के लिये भी गूगल मीट और सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं। सबसे खास बात तो यह है कि खुले और शुद्ध वातावरण में होने वाला योग अब कमरों में बैठकर मोबाइल के माध्यम से किया जायेगा। इसको लेकर प्रशिक्षकों ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। योग शिक्षिक एवं प्रशिक्षक बैठक कर योग दिवस मनाने को लेकर अपनी तैयारियों और कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे हैं।योग दिवस की घोषणा के पीछे एक ही उद्देश्य है , धर्म जाति से ऊपर उठकर समाज कल्याण के लिये एक शुरुआत करना। योग से जीवन के हर क्षेत्र में लाभ हैं इससे कई तकलीफों का अंत हैं , अतः सभी धर्म एवम जाति में योग के प्रति जागरूकता होनी चाहिये। सत्ताईस सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में हमारे देश भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले अभिभाषण में इस पर पहल करते हुये प्रस्ताव रखा। जिसे महासभा ने तीन माह से भी कम समय में 11 दिसंबर 2014 को 193 देशों में से 177 देशों के समर्थन से पूर्ण बहुमत के साथ प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। योग की महत्वता को लेकर भारत के प्रयासों के चलते दुनियां भर के देशों ने इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा में स्वीकारा। संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुये श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह मन और शरीर की एकता, विचार और कार्रवाई, संयम और पूर्ति; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने का सरल माध्यम है। इसकी मदद से ना सिर्फ स्वास्थ्य तन बल्कि शांत मन को भी पाया जा सकता है। योग की मदद से पूरी दुनिया में शांति और व्यवस्था स्थापित की जा सकती है। पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून, 2015 को दुनिया भर में मनाया गया था। भारत में इस दिवस को मनाने की पूरी जिम्मेदारी भारत सरकार के आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) मंत्रालय  की है। उस समय भारत में इंडिया गेट पर आयोजित 35 मिनट के इस कार्यक्रम में 21 आसनों को किया गया था जिसमे लगभग 35,985 लोगों सहित 84  देशों के गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया था ।इस घटना को गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया है। इस गिनीज पुरस्कार को आयुष मंत्रालय की ओर से श्रीपद येसो नाइक ने ग्रहण किया था। इक्कीस जून का दिन पूरे साल का सबसे लंबा दिन होता है . इसका मतलब है कि इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का समय सबसे ज्यादा होता है। इसी से योगा के अभ्यास से मिलने वाले लंबे स्वास्थ्य को प्रतिबिंबित किया गया है। इस दिन ही सूर्य अपनी स्थिति दक्षिणायन में लाता है , जो कि योग और अध्यात्म के लिये सबसे उपयोगी मानी जाती है। इन कारणों से ही 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में चुना गया। योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है , इसे सामान्य स्थान पर भी किया जा सकता है। यह मस्तिष्क और तन के बीच संतुलन का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और स्फूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिये एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर आपसी एकता की भावना , दुनियां और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन-शैली में यह चेतना बनकर हमें मदद कर सकता है। योग का अर्थ ‘एकता’ या ‘बांधना’ है। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुड़ने का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर , मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। सभी लोगों के जीवन में यह महत्वपूर्ण है कि वे पूरे शरीर को स्वस्थ और मानसिक संतुलन को बनाये रखें। योग का जन्म भारत में बहुत समय पहले हुई थी योग और ध्यान का प्रयोग हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म से जुड़े लोग प्रायः करते थे जैसे राजयोग , जनयोग , भक्तियोग, कर्मयोग , हस्त योग। माना जाता है की योग का इतिहास आज से 27000 साल पुराना है. कहते हैं कि 200 ई.पू. महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र को लिखा था। योग संस्कृत से प्राप्त हुआ शब्द है, यही वजह है की एक समय यह सिर्फ हिन्दू धर्म के लोगों तक सीमित था। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग के बारें में भी बताया , उन्ही की वजह से यह एक धर्म में ना रहकर सम्पूर्ण दुनिया में फैलाया गया. आज विज्ञान भी योग के महत्व को बताती है। आज योग हमारे जीवन का अहम हिस्सा बना हुआ है चाहे वह स्वास्थ्य के लिये हो या आत्मशांति के लिये। योग में सभी आसन एवम प्राणायाम का विशेष महत्व होता है, लेकिन इसे किसी के सानिध्य में सीखने के बाद ही करना उचित होता है| गलत तरीके से आसन अथवा प्राणायाम करने से विकार उत्पन्न होते हैं। इक्कीस जनवरी को योग दिवस के रूप में मनाने का यह भी कारण है कि यह दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है। इस विशेष दिन पर दुनियां भर में योग से जुड़ी तमाम एक्टिविटी होती है।

प्रतीक चिन्ह
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रतीक चिन्ह (लोगो) में एक व्यक्ति को दोनों हाथ जोड़ते हुये दिखाया गया है , जो कि योग के साथ साथ , मन और शरीर , मनुष्य और प्रकृति के बीच की एकता को दर्शाता है। इस लोगो को बनाने में हरे , भूरे , पीले और नीले रंग का इस्तेमाल किया गया है और ये रंग अलग अलग चीजों को रिप्रेजेंट करते हैं। योग के लोगो में दिखाई गई हरे रंग की पत्तियां प्रकृति का प्रतीक हैं, भूरे रंग के पत्तियां पृथ्वी तत्व का प्रतीक हैं , नीला रंग पानी का प्रतीक है , पीला रंग आग तत्व का प्रतीक है और सूरज ऊर्जा और प्रेरणा के स्रोत का प्रतीक है। इसके अलावा इस लोगो में सबसे नीचे ‘योग फॉर हारमनी एंड पीस’ लिखा गया है। क्योंकि योग की मदद से लोगों को हारमनी एंड पीस मिलता है।

जिंगल प्रतियोगिता आयोजित
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इंटरनेशनल योगा डे 2021 के मौके पर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने एक जिंगल (छोटा गाना व धुन) प्रतियोगिता आयोजित की है। जिसकी इनामी राशि नगद पच्चीस हजार रखी गई है , इस प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम तिथि 21 जून है। इसमें भाग लेने के लिये आपको भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूचि में परिभाषित आधिकारिक भारतीय भाषाओं में से किसी एक में विश्व योगा दिवस का प्रचार-प्रसार करता हुआ 25-30 सेकेंड का एक गाना लिखना व कंपोज करना है और फिर उसे साउंड क्लाउड , गूगल ड्राइव या यूट्यूब पर अपलोड करके MyGov पोर्टल पर अपलोड करना है। अधिक जानकारी के लिए आप MyGov वेबसाइट पर जा सकते हैं।

डाक विभाग की अनोखी पहल
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को विशेष दिवस बनाने को लेकर डाक विभाग ने एक अनोखी पहल की है। राष्ट्रीय स्तर पर अपनायी जाने वाली इस पहल में देश भर के डाकघरों को इसमें शामिल किया गया है। इस दिन डाकघरों में हर रोज नियमित रूप से प्रयोग होने वाली कैंसलेशन मोहर का प्रयोग नहीं होगा। बल्कि योग दिवस के मौके पर डाकघरों में स्पेशल कैंसलेशन मुहर होगी , जो कि योग दिवस का संदेश देगी। इसमें बाकायदा योग दिवस अंकित होगा , जो कि अन्य लोगों को भी योग को लेकर प्रेरित करेगी। इस दिवस को विशेष दिवस बनाने को लेकर डाक विभाग द्वारा प्रयास किये गये हैं। केवल मात्र 21 जून को ही इस स्पेशल कैंसलेंशन मोहर का प्रयोग होगा। जानकारी के अनुसार भारतीय डाक विभाग द्वारा पूरे देश भर के करीब 810 डाकघरों में फिलेटिक स्मरणोत्सव के रूप में डाक टिकटों व डाक सामग्री पर सचित्र डिजाइन द्वारा विशेष कैंसलेशन की जायेगी। इसमें बुकिंग के अलावा सभी वितरण होने वाली डाक सामग्री पर यह विशेष कैंसलेशन मोहर लगाई जायेगी। हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं में अंतराष्ट्रीय योग दिवस लिखा होगा। बता दें कि ऐसी टिकटें अथवा डाक सामग्री एवं मूल्यावन संग्रहण होती हैं।

Ravi sharma

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